Independence day 2022: चीन को दिया मुंहतोड़ जवाब, तो पाकिस्तान को घुटने टिका हर बार चटाई धूल, जानें इन 75 सालों में भारत ने कितनी जंग लड़ीं?
India Post Independence War: आजादी के बाद से ही भारत एक ताकतवर देश के तौर पर उभरा है। उसने इन 75 सालों में कई बार जंग लड़ी। ये लड़ाइयां चीन और पाकिस्तान के साथ हुईं। भारत ने चीन को तो धूल चटा ही दी, साथ ही पाकिस्तान को भी हर बार मुहं की खानी पड़ी है।
Highlights
- पाकिस्तान के साथ भारत की कई बार हुई लड़ाई
- आजादी के बाद भारत ने चीन के साथ भी लड़ी जंग
- भारत ने दोनों ही देशों को हर बार सबक सिखाया
India Post Independence War: भारत आज आजादी का जश्न मना रहा है। उसे 15 अगस्त, 1947 के दिन अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिली थी। इस साल ये दिन इसलिए और अधिक खास है क्योंकि गुलामी की बेड़ियों को टूटे 75 साल का वक्त पूरा हो गया है। इसलिए इस बार आजादी का दिन आजादी के अमृत महोत्सव के तौर पर और भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। आजादी के बाद से ही भारत एक ताकतवर देश के तौर पर उभरा है। उसने इन 75 सालों में कई बार जंग लड़ी। ये लड़ाइयां चीन और पाकिस्तान के साथ हुईं। भारत ने चीन को तो धूल चटा ही दी, साथ ही पाकिस्तान को भी हर बार मुहं की खानी पड़ी है। तो चलिए अब जान लेते हैं कि भारत ने आजादी के बाद कब-कब और किन देशों के साथ जंग लड़ी है।
1947- भारत और पाकिस्तान का युद्ध
आजादी के ठीक बाद पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिश की। इस मुद्दे के कारण दोनों देशों के बीच लड़ाई छिड़ गई, जो 22 अक्टूबर 1947 से 5 जनवरी, 1949 तक हुई। पाकिस्तान के कबायली आतंकी श्रीनगर पर कब्जा करने का प्रयास करते हुए भारतीय सीमा पार कर गए थे। वे बारामूला में रुके। जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारतीय सेना का समर्थन मांगा। युद्ध के बाद 1 जनवरी 1949 को युद्धविराम की घोषणा की गई। 13 अगस्त 1948 को संयुक्त राष्ट्र आयोग के प्रस्ताव में निर्धारित युद्धविराम की शर्तों को आयोग ने 5 जनवरी 1949 को अपनाया।
युद्ध में कुल 2,814 जवान शहीद हुए थे। युद्धविराम के बाद पाकिस्तान को अपनी सेना वापस लेनी थी, जबकि भारत को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य के भीतर न्यूनतम बलों को बनाए रखने की अनुमति दी गई थी।
1962- भारत और चीन का युद्ध
सिनो-इंडिया वॉर को 1962 में लड़ा गया था, ये भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई एक ऐसी जंग है, जिसे भूले नहीं भुलाया जा सकता। खास बात यह है कि भारतीय सेना चीन के हमले के लिए तैयार नहीं थी। अचानक बिना चेतावनी हुए हमले के बाद भारत के 20,000 सेना के जवानों ने चीन के 80,000 सैनिकों के साथ लड़ाई लड़ी। लड़ाई करीब एक महीने तक चली और नवंबर, 1962 में तब खत्म हुई, जब चीन ने युद्धविराम की घोषणा की थी। चीन तिब्बत पर राज करने की इच्छा बना चुका था और भारत को अपने लिए खतरा मान रहा था, उसकी यही धारणा चीन-भारत युद्ध के सबसे प्रमुख कारणों में से एक बन गई।
युद्ध शुरू होने से पहले 1962 में ही भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ था। 10 जुलाई 1962 को लगभग 350 चीनी सैनिकों ने चुशुल में एक भारतीय चौकी को घेर लिया और गोरखाओं को यह समझाने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया कि उन्हें भारत के लिए नहीं लड़ना चाहिए। हालांकि भारत युद्ध के लिए तैयार नहीं था, लेकिन जब भारतीय सेना को पता चला कि चीनी सेना एक दर्रे में इकट्ठी हुई है, तो उसने मोर्टार और मशीनगनों से गोलियां चलाईं और लगभग 200 चीनी सैनिकों को मार गिराया।
1965- भारत और पाकिस्तान का युद्ध
भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा युद्ध 1965 में हुआ था। इसकी शुरुआत पाकिस्तान की सेना ने ही की थी। पाकिस्तान ने कश्मीर में संघर्ष विराम रेखा के पार एक गुप्त अभियान शुरू किया था, जिसके चलते ये जंग हुई। कच्छ के कंजरकोट इलाके पर कब्जा कर पाकिस्तान ने पहले हमला किया। बाद में उसने जम्मू-कश्मीर में भी युद्ध शुरू किया। संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के साथ युद्ध समाप्त हो गया और दोनों पक्ष युद्ध से पूर्व वाली स्थिति में लौट आए। भारतीय सेना पाकिस्तानी टैंकों को कब्जे में करने में सक्षम थी और 1965 में उसने जीत भी हासिल की। 22 सितंबर तक दोनों पक्षों ने युद्ध को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य संघर्ष विराम पर सहमति व्यक्त की थी।
1967- भारत और चीन का युद्ध
इस लड़ाई को नाथुला की लड़ाई भी कहा जाता है। 1967 की जंग में भारतीय सेना ने चीन के सैकड़ों सैनिकों को मार गिराया था और उसके दुस्साहस का जवाब देते हुए कई बंकरों को भी ध्वस्त किया। नाथुला दर्रा 14,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, यह तिब्बत सिक्कम सीमा पर है। चीन ने 1967 में भारत से कहा था कि वह नाथुला और जेलेप ला दर्रे को खाली कर दे। जानकारी के मुताबिक, भारत की 17 माउंटेन डिवीजन ने जेलेप ला दर्रे को तो खाली कर दिया था लेकिन भारतीय सैनिक नाथुला में डटे रहे थे। फिर 6 सितंबर, 1967 में चीन के बंकरों की तरफ से धक्का मुक्की के बाद गोलीबारी शुरू हो गई। ये जंग इतनी भयानक थी कि महज 10 मिनट के भीतर ही भारत के 70 जवान शहीद हो गए।
भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन के 400 सैनिकों को मार गिराया था। भारत ने तीन दिनों तक लगातार गोलीबारी की। 14 सितंबर को चीन की तरफ से धमकी देते हुए कहा गया कि अगर भारत गोलीबारी बंद नहीं करेगा, तो वह हमला कर देगा। इसके बाद भारत ने चीन को सबक सिखाना जारी रखा, सबक मिलते ही गोलीबारी रोक दी गई।
1971- भारत और पाकिस्तान का युद्ध
पाकिस्तान की सेना ने भारत के 11 एयरबेस पर हवाई हमला कर दिया था। इसके बाद ऐसा शायद पहली बार हुआ, जब भारत की तीनों सेनाओं ने मिलकर कोई जंग लड़ी हो। भारत ने पश्चिम में पाकिस्तानी सेना की कायराना हरकतों का जवाब दिया और पाकिस्तान के करीब 15,010 किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। भारत ने बंगाली राष्ट्रवादियों का पक्ष लिया और पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता के लिए जंग में प्रवेश किया। युद्ध 13 दिन बाद समाप्त हो गया और भारत ने इसमें बड़ी जीत हासिल की। पाकिस्तानी सेना की पूर्वी कमान ने आत्मसमर्पण करते हुए कागजों पर हस्ताक्षर किए।
भारतीय सेना ने लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया था, जिसमें पाकिस्तान सशस्त्र बलों के 79,676 से 81,000 वर्दीधारी कर्मी शामिल थे, जिनमें कुछ बंगाली सैनिक भी थे, जो पाकिस्तान के प्रति वफादार थे। स्वतंत्रता के लिए लड़े गए 1971 के बांग्लादेश युद्ध के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने न केवल बंगालियों का नरसंहार किया, बल्कि 200,000 और 400,000 बांग्लादेशी महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया।
13 दिसंबर को भारत के फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने कहा, "आप आत्मसमर्पण कर रहे हैं या हम आपका सफाया कर दें।" जिसके तुरंत बाद भारत ने पाक सशस्त्र बलों पर युद्ध में जीत का ऐलान किया। पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया। तब से, इस दिन को भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद बांग्लादेश नाम के नए देश का जन्म हुआ। भारतीय सेना इस दिन को बहुत ही खास तरीके से मनाती है और आम जनता भी एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं भेजकर इस दिन को मनाती है।
1999- भारत और पाकिस्तान का युद्ध
भारत और पाकिस्तान के बीच 2 महीने से अधिक समय तक लड़े गए इस युद्ध को कारगिल युद्ध भी कहा जाता है। युद्ध को 18,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था। जिसमें 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 1300 से अधिक घायल हुए। वहीं पाकिस्तान के करीब 1000-1200 सैनिकों की मौत हुई। युद्ध की शुरुआत तब हुई, जब कारगिल के पहाड़ी क्षेत्र में स्थानीय चरवाहों ने कई हथियारबंद पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों को देखा। उन्होंने इसकी जानकारी सेना को दी। इलाके में घुसपैठ की खबरें पता चलने के बाद जवानों को यहां भेजा गया। इस दौरान पाकिस्तान सेना के साथ जंग में पांच भारतीय सैनिक शहीद हो गए।
पाकिस्तानी सेना कारिगल में मजबूत स्थिति में पहुंच गई थी, वह भारतीय सेना के गोला बारूद डिपो को निशाना बना रही थी। साथ ही गोलीबारी भी कर रही थी। पाकिस्तानी सेना ने एलओसी के पार द्रास और काकसर सेक्टरों सहित जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में घुसपैठ की। फिर भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया। सेना ने घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के लिए कश्मीर से सैनिकों को बड़ी संख्या में कारगिल जिले में भेजा। भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए हवाई हमले किए, जिसमें पाकिस्तानी घुसपैठियों का सफाया हुआ। दूसरी तरफ पाकिस्तान सेना ने भी नेशनल हाईवे एक को निशाने पर लिया और हमलों की रफ्तार बढ़ा दी।
भारतीय सेना ने वो दस्तावेज जारी किए जिनसे ये खुलासा हुआ कि लड़ाई की जिम्मेदार पाकिस्तानी सेना ही है। भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर के बटालिक सेक्टर में दो पोजीशन पर दोबारा कब्जा किया। इसके बाद भारतीय सेना ने टोलोलिंग चोटी पर कब्जा किया, जिससे पाकिस्तानी सेना को बड़ा झटका लगा। तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल का दौरा भी किया था। भारतीय सेना ने टाइगर हिल और इसके आसपास के महत्वपूर्ण स्थानों पर फिर से कब्जा कर लिया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने इसके बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते सेना को कारगिल ये से वापस लौटने का आदेश दिया। पाकिस्तान की सेना के पीछे हटने के बाद भारत ने ऑपरेशन विजय को सफल करार दिया। भारत ने 26 जुलाई को पाकिस्तानी सेना के कब्जे वाली सभी पोजीशन को अपने कब्जे में ले लिया। भारत ने युद्ध में जीत हासिल कर ली।