IMD Weather Report: IMD ने पेश किया रिपोर्ट कार्ड, जानें किन राज्यों में हुई कम बारिश और कहां टूटा रिकॉर्ड
IMD Weather Report: भारतीय मौसम विभाग विभाग (IMD) ने अपना मानसून रिपोर्ट कार्ड पेश कर दिया है। आइएमडी के अनुसार इस मानसून में आठ राज्यों में कम बारिश दर्ज की गई। जबकि आठ अन्य राज्यों में भारी बारिश ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए।
Highlights
- देश के 51 जिलों में हुई मूसलाधार बारिश
- 175 जिलों में भारी बारिश दर्ज की गई
- 14 राज्यों में बाढ़ के बावजूद सामान्य बारिश दर्ज हुई
IMD Weather Report: भारतीय मौसम विभाग विभाग (IMD) ने अपना मानसून रिपोर्ट कार्ड पेश कर दिया है। आइएमडी के अनुसार इस मानसून में आठ राज्यों में कम बारिश दर्ज की गई। जबकि आठ अन्य राज्यों में भारी बारिश ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। जून 2022 में शुष्क शुरुआत के बाद पूरे भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा पैटर्न में काफी भिन्नता देखी गई।
मौसम विभाग के अनुसार दो जुलाई तक पूरे देश में वर्षा का सीजन आ चुका था। मगर एक जून से 18 अगस्त के बीच 223 जिलों में बहुत कम बारिश दर्ज की गई। मैरीलैंड विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुड्डे ने बताया कि आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाएं सितंबर के तीसरे सप्ताह में उत्तर भारत से धीरे-धीरे पीछे हट जाती हैं। मगर पिछले वर्ष की तरह इस बार ग्रीष्म मानसून अक्टूबर तक ही नहीं थमेगा। ऐसे में ग्रीष्म और शरद मानसून के बीच सर्दियों में बारिश होने पर इसे समझने में भ्रम हो सकता है।
क्या थी मानसून में देरी की वजह
रघु मुर्तुगुड्डे के अनुसार पिछले तीन वर्षों में ला नीना और आर्कटिक क्षेत्र के गर्म होने से हो सकता है कि ग्रीष्म मानसून की वापसी में देरी हुई। इस वजह से भारी वर्षा हुई। उन्होंने बताया कि पिछले दो हफ्तों में कई जिलों में बारिश के पैटर्न में अत्यधिक बदलाव आया है। 10 अगस्त और 17 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताहों में कम से कम 163 जिलों में पहले अधिक फिर कम वर्षा हुई। इनमें तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत के अन्य हिस्से और गंगा के मैदानी राज्यों (उत्तराखंड, बंगाल और हरियाणा) के कुछ हिस्से शामिल रहे। इसी अवधि के दौरान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओडिशा के 167 जिलों में पहले कम फिर अधिक वर्षा हुई।
मुर्तुगुड्डे ने कहा कि अत्यधिक बारिश का कारण अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ राज्यों में यह बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने दबाव के कारण हो सकता है। वहीं अन्य राज्यों में यह दक्षिण-पश्चिम मानसून के उत्तर की ओर शिफ्ट होने के कारण हो सकता है। विशेष रूप से इसका आंकलन गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों सहित पश्चिमी घाट के उत्तरी भाग में किया गया।
अगस्त के मध्य में उत्तर भारत में मानसून रहा शुष्क
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान, पुणे के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा कि उत्तर भारत में मानसूनी बारिश में मौजूदा कमी मानसूनी वर्षा में दीर्घकालिक गिरावट से मेल खाती है। 11-17 अगस्त तक, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केरल में बहुत कम या बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई और 60-90 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। इसी अवधि में, उत्तराखंड के हरिद्वार में 98 प्रतिशत वर्षा की कमी देखी गई। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 100 फीसदी, बिजनौर में 98 फीसदी और शाहजहांपुर में 92 फीसदी की कमी दर्ज की गई। इसी तरह बिहार में पूर्वी चंपारण में 93 फीसदी, अररिया में 92 फीसदी, मधुबनी में 89 फीसदी और बेगूसराय जिले में 91 फीसदी कम बारिश कम हुई। इस तरह पिछले तीन महीनों में, उत्तरी और पूर्वी राज्यों मणिपुर, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के साथ-साथ दक्षिण में केरल में औसत से कम बारिश हुई है।
20 फीसद तक की वर्षा वाला क्षेत्र होता है सूखाग्रस्त
कोल ने कहा कि 20 प्रतिशत या उससे अधिक वर्षा की कमी को क्षेत्रों के लिए सूखे जैसी स्थिति माना जाता है। उदाहरण के लिए केरल को लें। यहां अत्यधिक बारिश के कारण राज्य में बाढ़ आई थी, लेकिन कुल बारिश की मात्रा 20 प्रतिशत से भी कम थी। इस प्रकार यहां बाढ़ आने के बाजवूद यह सूखाग्रस्त माना जाएगा। इसी समयावधि के दौरान, दक्षिणी और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में अत्यधिक वर्षा हुई।
यहां हुई सामान्य से अधिक वर्षा
तेलंगाना में सामान्य से 68 प्रतिशत अधिक संचयी औसत वर्षा 819.3 मिमी, तमिलनाडु में सामान्य से 71 प्रतिशत अधिक (287.3 मिमी) और कर्नाटक में 30 प्रतिशत (774.8 मिमी) हुई। वहीं राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में भी वर्षा औसत से क्रमशः 49 प्रतिशत (471.3 मिमी), 42 प्रतिशत (734.2 मिमी) और 30 प्रतिशत (923.3 मिमी) अधिक रही। लक्षद्वीप और लद्दाख में भी वर्षा औसत से क्रमशः 23 प्रतिशत (917.6 मिमी) और 64 प्रतिशत (25.6 मिमी) अधिक थी।
14 राज्यों में बाढ़ के बावजूद सामान्य बारिश
14 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में इस मॉनसून में सामान्य बारिश हुई है। हालांकि इन राज्यों में बाढ़ भी रही। इनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, ओडिशा, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, गोवा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और सिक्किम शामिल हैं।
उड़ीसा और असम ने झेली विनाशकारी बाढ़
दो राज्यों ने समान्य वर्षा में भी विनाशकारी बाढ़ झेली। इसमें उड़ीसा और असम का नाम शामिल है। यहां सामान्य वर्षा कुल वर्षा के उपयुक्त रही। भारत में भले ही कहीं कम तो कहीं अधिक या सामान्य बारिश है, लेकिन अत्यधिक बारिश का स्तर बढ़ा है। यह बाढ़ और भूस्खलन का कारण है।
देश के 51 जिलों में हुई मूसलाधार बारिश
मौसम विभाग के अनुसार 01 जून से 29 सितंबर 2022 के दौरान देश के 51 जिलों में मूसलाधार बारिश हुई। 175 जिलों में भारी बारिश हुई। वहीं 281 जिलों में सामान्य वर्षा हुई। 188 जिलों में वर्षा की कमी दर्ज की गई। जबकि आठ जिलों में बहुत कम बारिश हुई।
राज्यवार बारिश का आंकड़ा (01 जून से 29 सितंबर 2022)
राज्य 07 फीसद अधिक मूसलाधार बारिश वाले जिले 25 फीसद अधिक भारी बारिश वाले जिले
- राजस्थान 04 जिले 17 जिले
- कर्नाटक 12 जिले 12 जिले
- तमिलनाडु 12 जिले 15 जिले
- तेलंगाना 08 जिले 19 जिले
- छत्तीसगढ़ 01 जिला 11 जिले
- महाराष्ट्र 01 जिला 18 जिले
- गुजरात 03 जिला 12 जिले
- मध्य प्रदेश 03 जिले 27 जिला
- हरियाणा 01 जिला 09 जिला
- पंजाब 01 जिला 04 जिला
- मेघालय 02 जिला 00 जिला
- उत्तराखंड 02 जिला 00 जिला
- लद्दाख 01जिला 01 जिला
- जम्मू-कश्मीर 00 जिला 08 जिला
- यूपी 00 जिला 05 जिला
- आंध्र प्रदेश 00 जिला 03 जिला
- दादर नगर हवेली 00 जिला 03 जिला
- हिमाचल 00 जिला 02 जिला
- उड़ीसा 00 जिला 04 जिला