ICICI बैंक लोन घोटाला: जांच में सहयोग नहीं कर रहे वी.एन.धूत, CBI कराएगी चंदा और दीपक कोचर से सामना
सीबीआई ने कहा कि एक लोक सेवक होने के नाते उसे बैंक निधि सौंपी गई थी, जिसके लिए वह आईसीआईसीआई बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार इस तरह के ट्रस्ट का निर्वहन करने के लिए जिम्मेदार थी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) वीडियोकॉन ग्रुप के गिरफ्तार एमडी वी.एन. धूत का सामना ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर और उनके व्यवसाय पति दीपक कोचर से कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। धूत को सीबीआई ने सोमवार को मुंबई से गिरफ्तार किया था, जबकि कोचर पहले से ही इसकी हिरासत में हैं। जांच एजेंसी को अदालत से आरोपियों की तीन दिन की हिरासत मिल गई है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि धूत ने उन्हें पूरे तथ्य नहीं बताए, इसलिए उनका कोचर के साथ आमना-सामना कराने की जरूरत है। सीबीआई ने आरोप लगाया कि धूत जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। उन्हें जांच में शामिल होने के लिए दो नोटिस भेजे गए, लेकिन वह 23 और 25 दिसंबर को जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए। सीबीआई ने भी उनके बयानों में भिन्नता पाई है।
साल 2009 में दिया गया था लोन
मौजूदा मामला 22 जनवरी 2019 को वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, नूपावर रिन्यूएबल्स लिमिटेड, सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया था। 26 अगस्त 2009 को चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली एक स्वीकृति समिति ने बैंक के नियमों और नीतियों का उल्लंघन करते हुए वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 300 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी दी थी। इसमें उन्होंने सह-आरोपी व्यक्तियों के साथ आपराधिक साजिश रचते हुए बेईमानी से लोक सेवक के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया।
लोन 7 सितंबर 2009 को वितरित किया गया था और अगली तारीख 8 सितंबर 2009 को धूत ने अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड से दीपक कोचर द्वारा प्रबंधित एनआरएल को 64 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। एनआरएल को 24 दिसंबर 2008 को शामिल किया गया था और धूत और सौरभ धूत ने 15 जनवरी 2009 को इसके निदेशकों के रूप में इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने से पहले धूत ने दीपक कोचर को 1,997,500 वारंट आवंटित किए थे।
धूत ने 15 जनवरी 2009 को धूत ने दे दिया था SEPL के निदेशक पद से इस्तीफा
5 जून 2009 को धूत और दीपक कोचर द्वारा रखे गए एनआरएल के शेयरों को एसईपीएल में ट्रांसफर कर दिया गया, 3 जुलाई 2008 को धूत और उनके सहयोगी वसंत काकड़े को एसईपीएल में निदेशक के रूप में शामिल किया गया था। धूत ने 15 जनवरी 2009 को एसईपीएल के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया और कंपनी का नियंत्रण दीपक कोचर को हस्तांतरित कर दिया और अपने शेयरों को पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया, जिसे बाद में मैनेज किया गया। जून 2009 और अक्टूबर 2011 के बीच आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन समूह की छह कंपनियों को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड से इन कंपनियों द्वारा लिए गए असुरक्षित लोन को चुकाने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से 1,875 करोड़ रुपये का सावधि लोन को मंजूरी दी। चंदा कोचर के आईसीआईसीआई बैंक के एमडी और सीईओ के रूप में कार्यभार संभालने के बाद ये सभी लोन मंजूर किए थे।
आईसीआईसीआई बैंक ने स्काई एप्लायंस लिमिटेड और टेक्नो इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के अकाउंटों में 50 करोड़ रुपये की एफडीआर के रूप में उपलब्ध सुरक्षा भी बिना किसी औचित्य के जारी कर दी थी। 26 अप्रैल 2012 को छह आरटीएल खातों के मौजूदा बकाया को 1730 करोड़ रुपये के आरटीएल में समायोजित किया गया था, जिसे घरेलू लोन के पुनर्वित्त के तहत वीआईएल को मंजूरी दी गई थी। वीआईएल के खाते को 30 जून 2017 को एनपीए घोषित कर दिया गया था। खाते में बकाया 1,033 करोड़ रुपये हैं।
मामले में IPC की धारा 409 का उल्लंघन किया गया
जांच के दौरान सामना आया कि चंदा कोचर ने वीएन धूत के साथ व्यापारिक लेन-देन करने के बावजूद अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए वीडियोकॉन समूह को विभिन्न लोन की मंजूरी दी। उस जांच से पता चला कि 8 सितंबर 2009 को चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड को स्वीकृत 283.45 करोड़ रुपये की वितरित राशि में से 64 करोड़ रुपये की राशि उनके पति के कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दी गई थी। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि इस प्रकार चंदा कोचर ने 300 करोड़ रुपये के आरटीएल को मंजूरी देकर आईपीसी की धारा 409 का उल्लंघन किया है। सीबीआई ने कहा कि एक लोक सेवक होने के नाते उसे बैंक निधि सौंपी गई थी, जिसके लिए वह आईसीआईसीआई बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार इस तरह के ट्रस्ट का निर्वहन करने के लिए जिम्मेदार थी। सीबीआई को पता चला है कि चंदा कोचर उस अवधि के दौरान बिना महत्व के एक फ्लैट में रह रही थीं। इसके बाद फ्लैट जिसकी कीमत 1996 में 5.25 करोड़ रुपये थी उसे साल 2016 में 11 लाख रुपये की मामूली राशि पर दीपक कोचर के पारिवारिक ट्रस्ट क्वालिटी एडवाइजर को हस्तांतरित कर दिया गया।
इनपुट - एजेंसी