Hyderabad: महाराष्ट्र में उद्धव सरकार ने जाते-जाते राज्य के दो शहरों के नाम बदल दिए। औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में तो नाम बदलने का पुराना इतिहास रहा है। लेकिन जब से राज्य में योगी सरकार आई तब से शहरों का नाम बदलना ज्यादा चर्चा में रहा है। अब दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध शहर के नाम बदले जाने की चर्चा है। जैसे इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया। फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। वैसे ही अब चर्चा है कि चार मीनारों वाले शहर का नाम बदलकर 'भाग्यनगर' कर दिया जाएगा।
कैसे हुई नाम बदले जाने की चर्चा ?
दरअसल 2-3 जुलाई को हैदराबाद में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित हुई। इसके समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद को भाग्यनगर कहकर संदर्भित किया। भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि, सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस क्षेत्र को संघ में एकीकृत करके हैदराबाद में ‘एक भारत’ (संयुक्त भारत) की नींव रखी और ‘श्रेष्ठ भारत’ का निर्माण करना भाजपा का ऐतिहासिक दायित्व है.
वहीं बीजेपी की इस बैठक में भी पीएम मोदी के भाषण का हवाला देते हुए कहा, "पीएम मोदी ने कहा कि हैदराबाद भाग्यनगर है जो हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। सरदार पटेल ने हैदराबाद में एक एकीकृत भारत की नींव रखी और अब इसे आगे ले जाने की जिम्मेदारी भाजपा की है। जो कुछ भी अच्छा है, उस पर हर भारतीय का हक है. भाजपा इस दर्शन में विश्वास करती है और इसलिए वह सरदार पटेल जैसे नेताओं को मानती है।"
जब तेलंगाना में भाजपा की सरकार बनेगी, तब बदला जाएगा नाम - पीयूष गोयल
आपको बता दें कि भाजपा की लंबे समय से हैदराबाद का नाम बदलने की मांग करती रही है, पार्टी के तमाम नेता कई बार मांग कर चुके हैं। हैदराबाद के नाम परिवर्तन की चर्चा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि, जब राज्य की सत्ता में बीजेपी आएगी तब इसका निर्णय राज्य के मुख्यमंत्री और उसकी कैबिनेट के द्वारा लिया जाएगा। वहीं बैठक से दो दिन पहले हैदराबाद में ही एक जनसंपर्क सभा के दौरान भाजपा नेता और झारखंड के पूर्व सीएम रघुबर दास ने कहा था कि अगर राज्य में पार्टी सत्ता में आई तो हैदराबाद का नाम भाग्यनगर कर दिया जाएगा। माना जाता है कि इस साल अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए हैदराबाद को स्थान के रूप में चुनने का भाजपा का निर्णय भी रणनीतिक रूप से उन राज्यों में पार्टी के आधार को मजबूत करने के प्रयास में किया गया है, जहां वह सत्ता हासिल करना चाहती है। यह इस बात का भी संकेत देता है कि तेलंगाना भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकता में है और राज्य में अगले साल चुनाव होने हैं।
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