नयी दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को कहा कि कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद 9 महीने या उससे अधिक समय तक एंटीबॉडी बनी रहती है। उन्होंने साथ ही कहा कि वैक्सीन की एक एहतियाती (तीसरी) खुराक जो स्वास्थ्य देखभाल, अग्रिम पंक्ति के कर्मियों और अन्य बीमारियों से ग्रसित 60 वर्ष से ऊपर के नागरिकों को दी जाएगी, संक्रमण की गंभीरता, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु की आशंका को कम करने के लिए है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 वायरस प्राकृतिक माहौल में किसी व्यक्ति को संक्रमित करता है और एंटीबॉडी मध्यस्थता, कोशिका मध्यस्थता प्रतिरक्षा और प्रतिरक्षात्मक स्मृति प्राप्त करता है।
‘महत्वपूर्ण चीज यह है कि टीकाकरण अत्यंत अनिवार्य है’
भार्गव ने कहा कि संकर प्रतिरक्षा, जो टीकाकरण और प्राकृतिक संक्रमण के परिणामस्वरूप विकसित होती है, दूसरी खुराक के बाद एक मजबूत प्रतिक्रिया और मजबूत एंटीबॉडी अनुमापांक तैयार करती है। उन्होंने कहा, हालांकि एंटीबॉडी को मापना ही समूची सुरक्षा को द्योतक नहीं है। भार्गव ने कहा, ‘संक्रमण के बाद प्रतिरक्षा का स्थायित्व लगभग 9 महीने तक बना रहता है। अगर आपको संक्रमण हुआ और आपका टीकाकरण भी हुआ है तो आपकी प्रतिरोधक प्रतिक्रिया उन लोगों से ज्यादा होगी जिन्हें सिर्फ संक्रमण हुआ या जिन्होंने सिर्फ टीका लगवाया। इसलिए महत्वपूर्ण चीज यह है कि टीकाकरण अत्यंत अनिवार्य है।’
विभिन्न अध्ययनों में सामने आई है ये बात
वैश्विक साक्ष्यों का हवाला देते हुए भार्गव ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 की प्रतिरक्षात्मक स्मृति स्वाभाविक तौर पर संक्रमित होने के 8 महीनों से ज्यादा वक्त तक बनी रहती है। भार्गव ने कहा, ‘यह अमेरिका में ‘साइंस’ में प्रकाशित है, और चीन में संक्रमण के 9 महीने से अधिक समय बाद एंटीबॉडी और कोशिकीय प्रतिक्रिया मिली हैं। फिर अमेरिका में अनुदैर्ध्य जांच में कई अध्ययनों से पता चला है कि एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं संक्रमण के बाद 13 महीने से अधिक समय तक बनी रहती हैं और इजरायल, इंग्लैंड, डेनमार्क, अमेरिका, ऑस्ट्रिया और इटली के 10 अध्ययनों की व्यवस्थित समीक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में 10 महीनों तक पुन:संक्रमण में कमी आई है।’
‘सभी 2020, 2021 में हुए संक्रमण के प्रकाशित आंकड़े हैं’
भार्गव ने कहा, ‘हम यह कहना चाहते हैं कि 9 महीने तक और उससे भी थोड़ा रूढ़िवादी अनुमान लें तो यही सबूत हैं। भारत से 3 अध्ययन हैं, 2 ICMR से और एक मुंबई से, 284 रोगियों पर, 755 रोगियों पर और 244 रोगियों पर कि यह 8 महीने, 7 महीने और 6 महीने (क्रमशः) तक बनी रहती है और ये सभी 2020, 2021 में हुए संक्रमण के प्रकाशित आंकड़े हैं।’ भारत में उपयोग किए जा रहे टीकों के बारे में बात करते हुए, भार्गव ने कहा कि एक संपूर्ण ‘वायरियन किल’ टीका है जो कोवैक्सीन है और दूसरा एक वायरल वेक्टर आधारित सबयूनिट टीका कोविशील्ड है।
‘एहतियाती खुराक संक्रमण रोकने की खुराक नहीं है’
भार्गव ने कहा कि एहतियाती खुराक संक्रमण रोकने की खुराक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह प्राथमिक तौर पर संक्रमण की गंभीरता कम करने, अस्पताल में भर्ती होने की गुंजाइश कम करने और मौत को कम करने के काम के लिये है। (भाषा)
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