शरीर में जहर फैला रहे हैं आर्टिफिशियल फूड कलर, जानें कैसे बच सकते हैं
आर्टिफिशियल फूड कलर को फूड डाई के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें केमिकल आदि से तैयार किया जाता है आम तौर पर खाद्य और दवा आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में इस वक्त त्योहारों का सीजन चल रहा है। ऐसे समय में हर कोई अपनी पसंद का खाना खाना चाहता है। लोग अपने पसंदीदा खाने के लिए बाहर होटल जाते हैं या तो फिर ऑनलाइन फूड डिलीवरी का सहारा लेते हैं। हालांकि, आपके पसंदीदा खाने का मजा आर्टिफिशियल फूड कलर बिगाड़ सकते हैं। आर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल आज बाजार में धड़ल्ले से किया जा रहा है। बता दें कि आर्टिफिशियल फूड कलर के कारण कैंसर फैलने तक का खतरा बना रहता है। हाल ही में कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने भी पूरे राज्य में कबाब, मछली और शाकाहारी खाद्य पदार्थों में आर्टिफिशियल फूड कलर के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था। आइए जानते हैं कि क्या है आर्टिफिशियल फूड कलर होते क्या हैं, आप कैसे इन्हें पहचान सकते हैं और अपना बचाव कैसे कर सकते हैं।
क्या होता है आर्टिफिशियल फूड कलर?
आर्टिफिशियल फूड कलर को फूड डाई के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें केमिकल आदि से तैयार किया जाता है आम तौर पर खाद्य और दवा आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है। ये एक खास तरह के सिंथेटिक रंग होते हैं जो खाने के रंग और स्वाद को ज्यादा अच्छा बना देते हैं। हालांकि, आर्टिफिशियल फूड कलर से आपके शरीर को नुकसान भी काफी अधिक होता है।
कहां इस्तेमाल होता है आर्टिफिशियल फूड कलर?
आर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह के खाने में किया जाता है। कर्नाटक सरकार ने भी राज्य में चिकन कबाब, मछली और शाकाहारी खाद्य पदार्थों में आर्टिफिशियल कलर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा लगाया था। इन सब के अलावा चॉकलेट बार, च्युइंग गम, जेम्स, चिप्स, फ्रॉस्टिंग, केक और कपकेक जैसे बेकरी आइटम, पॉप्सिकल्स और कई तरह के सॉस में भी आर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल किया जाता है।
आर्टिफिशियल फूड कलर के नाम
- रेड 40 : एल्योर रेड या आइएनएस129
- यलो 5 : टार्दाजिन या आइएनएस 102
- यलो 6 : सनसेट येलो या आइएनएस 110
- ब्लू 1: ब्रिलियंट ब्लू या आइएनएस 133
- ब्लू 2 : इंडिगो कारमाइन या आइएनएस 132
- ग्रीन 3: फास्ट ग्रीन या आइएनएस 143
- एजोरूबिनः कार्मोइसिन या आइएनएस 122
ऐसे पहुंचा सकते हैं नुकसान
आर्टिफिशियल फूड कलर को हानिकारक रसायनों और एडिटिव्स से बनाया जाता है। इनमें कई ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। रेड 40, येलो 5 और येलो 6 जैसे आर्टिफिशियल रंगों में भी कैंसरकारी तत्व हो सकते हैं। लंबे समय तक येलो 5 का सेवन करते रहने से शरीर पर चकत्ते, सूजन, एक्जिमा और पित्ती जैसी एलर्जी की भी समस्या देखने को मिल सकती है। ब्लू 1 और ब्लू 2 जैसे आर्टिफिशियल फूड कलर पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।
कैसे करें बचाव?
अगर आप बाहर जाकर खाना खा रहे हैं तो खाने के अधिक चटकीले या कलरफुल होने से पता लग सकता है कि खाने में आर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा पैकेज्ड फूड में आर्टिफिशियल फूड कलर का पता लगाने के लिए आप पैकेट के पिछले हिस्से की तरफ देखें। पैकेट के पीछे सामान को बनाने में इस्तेमाल की गई चीजों की लिस्ट दी गई होती है। यहां से ये पता लग सकता है कि सामान में आर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल कितनी मात्रा में किया गया है।
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