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Hindi News भारत राष्ट्रीय NCRB SUICIDE REPORT: 21वीं सदी में नहीं बदली महिलाओं की सूरत, हर 30 मिनट में एक हाउसवाइफ ने की आत्महत्या

NCRB SUICIDE REPORT: 21वीं सदी में नहीं बदली महिलाओं की सूरत, हर 30 मिनट में एक हाउसवाइफ ने की आत्महत्या

NCRB SUICIDE REPORT: देश में हर दिन घरेलू हिंसा, अकेलापन, डिप्रेशन और मेंटल हेल्थ की वजह से सुसाइड करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आमतौर पर आत्महत्या के केस में देखा जाता है कि व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होता है या घरेलू कलह की वजह से परेशान होता है

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Highlights

  • सबसे अधिक सुसाइड के मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए
  • डिप्रेशन का शिकार हो रही है
  • हर 30 मिनट में एक गृहणी ने खुदकुशी की

NCRB SUICIDE REPORT: देश में हर दिन घरेलू हिंसा, अकेलापन, डिप्रेशन और मेंटल हेल्थ की वजह से सुसाइड करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आमतौर पर आत्महत्या के केस में देखा जाता है कि व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होता है या घरेलू कलह की वजह से परेशान होता है, जिसके कारण वो फैसला नहीं ले पाता है कि उसे करना क्या है। अंत में आकर वह सुसाइड जैसा कदम उठा लेता है। इसमें चौंकाने वाले आंकड़े सबसे अधिक हाउसवाइफ का है, जो अपने घर में दिन-रात रहती हैं। 

हाल में ही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, 2021 में 23,178 गृहणियों ने सुसाइड की थी। यह संख्या खुदकुशी करने वाले कुल संख्या का 14.1% है। इसमें सबसे ज्यादा हैरान करने वाली यह बात है कि आत्महत्या करने वाले आंकड़ों में सबसे अधिक गृहणियों का है। एनसीआरबी के अनुसार, हर रोज लगभग 63 महिलाओं ने आत्महत्या किया, इसके अलावा हर 30 मिनट में एक गृहणी ने खुदकुशी की है। 

आखिर आत्महत्या करने का क्या है कारण 

वहीं 2020 में आंकड़े 2021 की अपेक्षा में कहीं अधिक आए। एनसीआरबी के मुताबिक, 2020 में 1,53,052 आत्महत्या के केस सामने आए थे। इस रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर आत्महत्याओं का कारण परिवारिक समस्या, शादी से जुड़े मसले और अकेलापन था। हालांकि सबसे बड़ी बात यह है कि घर में काम करने वाली महिलाएं आत्महत्या करने पर क्यों मजबूर हो रही हैं। क्या वो डिप्रेशन का शिकार हो रही है या घरेलू कलह के वजह से तंग है। रिपोर्ट में देखा गया कि खुदकुशी करने वालों में से 66.9 परसेंट यानी 1,64,033 में से 1,09,749 विवाहित थी। इसके अलावा 24% अविवाहित शामिल थे। वही बात करें विधवा या विधुर, तलाकशुदा, जीवनसाथी से अलग रहने वाले कुल आत्महत्याओं की संख्या की तो क्रमश 2,485,788 और 871 कुल मामले सामने आए हैं। 

डॉक्टर क्या कहते हैं?
इस संबंध में हमने एक डॉक्टर से बात की उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ज्यादातर महिलाएं घरेलू हिंसा से परेशान होकर सुसाइड जैसा कदम उठाती है। इसके अलावा शहर में रहने वाली महिलाएं अकेली रहने के कारण डिप्रेशन का शिकार हो जाती है, जिसके कारण वह अकेलापन महसूस होने से इस तरह के कदम उठाते हैं।  डॉक्टर ने बताया कि कम उम्र में शादी हो जाना भी एक गंभीर समस्या है। अगर किसी लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है तो उन्हें समझ में नहीं आता है कि अपने जीवन में क्या फैसला ले। डॉक्टर ने आगे बताया कि हमें इस पर खुलकर चर्चा करने की जरूरत है ताकि कई व्यक्ति ऐसा कोई कदम उठाने की सोच रहा है तो उसे हम रोक सकें। 

सबसे अधिक सुसाइड कहां
सबसे सुसाइड के मामले महाराष्ट्र राज्य में दर्ज किया गया है इसके अलावा तमिलनाडु, मध्यप्रदेश में आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के मुताबिक, महाराष्ट्र में तमिलनाडू, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में सुसाइड के 50.4% मामले सामने आए। जबकि  49.6 मामले अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज किए गए। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में हत्या के मामलों में मामूली कमी दर्ज की गई है। 

दिल्ली महिलाओं के लिए नहीं सुरक्षित 
दिल्ली में 2021 में हत्या के 454 मामले जबकि 2020 में 461 और 2019 में 500 मामले आए थे। आंकड़ों के अनुसार, 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में दर्ज किए गए हत्या के ज्यादातर मामले विभिन्न विवादों का नतीजा थे, जिनमें संपत्ति और परिवार से जुड़े विवाद शामिल हैं। हत्या के 23 मामलों में प्रेम प्रसंग के कारण खूनखराबा हुआ और 12 हत्याएं अवैध संबंधों के कारण हुई हैं। इसके अनुसार, इनमें 87 हत्याओं के पीछे निजी दुश्मनी वजह थी, जबकि 10 हत्याएं निजी फायदे के कारण की गईं। राष्ट्रीय राजधानी में दहेज, जादू टोने, बाल/नर बलि और सांप्रदायिक, धार्मिक या जाति की वजहों से कोई हत्या नहीं हुई है। राष्ट्रीय राजधानी में 2020 में अपहरण के सबसे अधिक 5,475 मामले सामने आए थे, जबकि पिछले साल 4,011 मामले सामने आए। आंकड़ों के मुताबिक, पुलिस 5,274 अपहृत लोगों को बचा पाई, जिनमें 3,689 महिलाएं शामिल हैं। अपहृत किए गए 17 लोग मृत पाए गए, जिनमें आठ महिलाएं भी शामिल हैं।

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