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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'अंग्रेजों के बनाए कानून आज से निरस्त हुए', नए आपराधिक कानूनों पर बोले गृहमंत्री अमित शाह

'अंग्रेजों के बनाए कानून आज से निरस्त हुए', नए आपराधिक कानूनों पर बोले गृहमंत्री अमित शाह

अमित शाह ने साफ किया कि अंग्रेजों ने भारत में राज करने के लिए अपने हिसाब से कानून बनाए थे। वहीं, अब इनमें बदलाव कर इन्हें जनता को न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है।

Amit Shah- India TV Hindi Image Source : PTI अमित शाह

देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने मीडिया से बातचीत की और नए कानूनों से होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के बनाए गए कानून खत्म हो चुके हैं। अब देश में नए कानून लागू हो रहे हैं, जिनमें आरोपी को सजा देने की बजाय पीड़ित को न्याय देने पर ज्यादा जोर दिया गया है। 

ये धाराएं बदलीं
अपराध पहले (IPC की धारा) अब (BNS की धारा)

मर्डर

302

103

ठगी

420

318
रेप 376 64
चोरी 379 303
राजद्रोह 124 152
आपराधिक षणयंत्र 120-B 61
दहेज हत्या 304-B 80
धोखाधड़ी 420 318

न्याय संहिता में 358 धाराएं

अमित शाह ने कहा कि नए कानून भारत की संसद ने बनाए हैं। नए कानून से ट्रायल में कमी आएगी। पुरानी धाराएं हटाकर नई धाराएं जोड़ी गई हैं, अब दंड की जगह न्याय पर जोर है। भारतीय कानून के अनुसार अब तक भारतीय दंड संहिता के अनुसार हर अपराधी को सजा मिलती थी। यह दंड संहिता 1860 में बनी थी। वहीं, अब भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा मिलेगी, जिसको पिछले साल ही संसद की मंजूरी मिली। भारतीय दंड संहिता (IPC) 511 धाराएं थीं। वहीं, भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 358 धाराएं हैं। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1898 में 484 धाराएं थीं। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में 167 प्रावधान थे। अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 प्रावधान हैं।

अब दंड नहीं न्याय मिलेगा

तीन नए आपराधिक कानूनों पर बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा "सबसे पहले मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देना चाहूंगा कि आजादी के लगभग 77 साल बाद हमारी अपराधी न्याय प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी हो गई है। यह भारतीय मूल्यों पर काम करेगी। 75 साल बाद इन कानूनों पर चर्चा की गई और आज जब ये कानून प्रभावी हो रहे हैं तो ब्रिटिश काल के कानून पूरी तरह से खत्म हो रहे हैं। अब भारतीय संसद में बने नियम प्रभावी होंगे। दंड की जगह अब न्याय मिलेगा। अब देरी की बजाय तेजी से सुनवाई होगी और जल्द न्याय मिलेगा। पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों का बचाव होता था, लेकिन अब पीड़ित और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी सुरक्षा होगी।"

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