नई दिल्ली: देश में बीते 10 सालों में असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से 17 लाख से ज्यादा लोग एचआईवी से संक्रमित हुए हैं। ये जानकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में दी है। हालांकि ‘ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस’ (एचआईवी) से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या पिछले 10 साल में काफी कम हुई है। 2011-12 में असुरक्षित यौन संबंध के कारण एचआईवी से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 2.4 लाख थी जबकि 2020-21 में यह घटकर 85,268 रह गई।
मध्य प्रदेश के निवासी और आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ के आवेदन के जवाब में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) ने बताया कि 2011-2021 के बीच भारत में असुरक्षित यौन संबंध के कारण 17,08,777 लोग एचआईवी से संक्रमित हुए। आंध्र प्रदेश में एचआईवी संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए जहां 3,18,814 लोग इस वायरस की चपेट में आए।
इसके बाद महाराष्ट्र में 2,84,577, कर्नाटक में 2,12,982, तमिलनाडु में 1,16,536, उत्तर प्रदेश में 1,10,911 और गुजरात में 87,400 मामले दर्ज किए गए। जांच संबंधी आंकड़ों के मुताबिक, 2011-12 से 2020-21 के बीच रक्त और रक्त उत्पाद के जरिए 15,782 लोग एचआईवी से पीड़ित हुए जबकि मांओं के जरिए 4,423 बच्चों को यह बीमारी फैली।
आंकड़ों के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एचआईवी संक्रमण के मामलों में कमी देखी गई है। देश में 2020 तक 81,430 बच्चों सहित एचआईवी पीड़ित लोगों की संख्या 23,18,737 थी। जवाब के मुताबिक, जांच के दौरान संक्रमित व्यक्तियों ने काउंसलर्स को बताया कि वे किस वजह से एचआईवी से संक्रमित हुए हैं और इसी पर यह सूचना आधारित है।
एचआईवी शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम पर हमला करता है। अगर एचआईवी का इलाज नहीं कराया जाए तो यह एड्स (एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) बन जाता है। यह वायरस असुरक्षित यौन संबंध के अलावा, संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आने से भी हो सकता है। एचआईवी से संक्रमित होने के चंद हफ्तों के अंदर ही प्रभावित व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं जैसेकि बुखार, गला खराब होना और कमजोरी होना।
इसके बाद बीमारी के तब तक कोई लक्षण नहीं होते हैं जब तक कि यह एड्स नहीं बन जाए। एड्स के लक्षणों में वज़न घटना, बुखार या रात में पसीना आना, कमजोरी और बार-बार संक्रमण होना शामिल है। एचआईवी का कोई प्रभावी उपचार नहीं है, लेकिन इस तरह की दवाइयां हैं जिससे इसे मैनेज किया जा सकता है।
गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट में इंटरनल मेडिसिन के निदेशक सतीश कौल ने बताया कि भारत में एचआईवी की स्थिति पिछले एक दशक में स्थिर हुई है। उन्होंने कहा कि भारत में एनएसीए का एक बहुत अच्छा नेटवर्क है, जो एचआईवी रोगियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। ‘हाइली एक्टिव एंटी रेट्रोवायरल’ उपचार (एचएएआरटी) आसानी से उपलब्ध है।
वास्तव में साल 2000 से एचआईवी संक्रमित रोगियों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ परामर्शदाता प्रभात रंजन सिन्हा ने कहा कि कोविड-19 महामारी संबंधी प्रतिबंधों के चलते बीते दो साल से देश में एचआईवी के मामले कम पता चल रहे हैं।
उन्होंने कहा, अब कोविड खत्म हो रहा है तो एचआईवी के मामलों की संख्या में इज़ाफा हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित पाया जाता है तो उसे जल्द से जल्द एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) दी जानी चाहिए। (इनपुट:एजेंसी)
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