HINDI DIWAS: जानें संस्कृत से कैसे निकली हिंदी भाषा, किसने लिखा पहला साहित्य
WORLD HINDI DAY: संस्कृत भाषा से हिंदी की उत्पत्ति की कहानी काफी लंबी है। माना जाता है कि हिंदी में पहला गद्य साहित्य लाला श्रीनिवासदास ने लिखा था। उन्होंने 'परीक्षा गुरु' नाम का उपन्यास लिखा था। इससे पहले अमीर खुसरो ने कविताएं लिखी थीं।
WORLD HINDI DAY: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 10 जनवरी का दिन विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 2006 में मनमोहन सिंह ने इसकी शुरुआत की थी। इसके बाद से हर साल विश्व हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। इस बार इस खास दिन की थीम 'एकता और सांस्कृतिक गौरव की वैश्विक आवाज' रखी गई है। हिंदी मौजूदा समय में दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी मूल रूप से संस्कृत भाषा से निकली है। यहां हम बता रहे हैं कि संस्कृत से कैसे हिंदी का उद्गम हुआ और यह संस्कृत को ही पीछे छोड़ते हुए करोड़ों लोगों की भाषा बन गई।
संस्कृत की उत्पत्ति भारत के उत्तरी हिस्से में हुई थी। यह काफी प्राचीन भाषा है। इसे भारतीय उपमहाद्वीप की आधारभूत भाषा माना जाता है। संस्कृत को देवभाषा भी कहा जाता है। माना जाता है कि हिन्दी, उर्दू, बंगाली, तेलगू, मलयालम और कन्नड़ जैसी अन्य भारतीय भाषाओं संस्कृत से ही निकली हैं।
कैसे हुआ हिंदी का उदय
1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व के बीच भारत में वैदिक संस्कृत का इस्तेमाल होता था। चारों वेद और उपनिषद इसी भाषा में लिखे गए हैं। इसके बाद लौकिक संस्कृत का उदय हुआ। लौकिक संस्कृत से पालि भाषा निकली। गौतम बुद्ध के संदेश पालि भाषा में ही मिलते हैं। पालि से प्राकृत भाषा निकली। पालि के ही अपभ्रंश (भाषा का बिगड़ा हुआ रूप) अवहट्ठ से हिंदी का निर्माण हुआ। हिंदी का इतिहास करीब एक हजार साल पुराना माना जाता है। अपभ्रंश भाषाओं का इस्तेमाल साहित्य में 1000 ईस्वी के आस-पास होने लगा था।
तीन अपभ्रंश से हुआ हिंदी का विकास
भाषा वैज्ञानिक भोलेनाथ तिवारी ने क्षेत्रीय आधार पर पांच तरह की अपभ्रंश का जिक्र किया है। शौरसेनी (मध्यवर्ती), मागधी (पूर्वीय), अर्धमागधी (मध्यपूर्वीय), महाराष्ट्री (दक्षिणी), व्राचड-पैशाची (पश्चिमोत्तरी)। भोलानाथ तिवारी के अनुसार अपभ्रंश के तीन रूपों शौरसेनी, मागधी और अर्धमागधी से हिंदी का विकास हुआ।
हिंदी इतिहास के तीन काल
हिन्दी भाषा के विकास को तीन कालों में बांटा गया है। आदिकाल, मध्यकाल, और आधुनिक काल। आदिकाल का समय 1000 ईस्वी से 1500 ईस्वी तक माना जाता है। इस दौरान कविताओं की रचना हुई और रासो ग्रंथ लिखे गए। इसके बाद 1500 ईस्वी से 1900 ईस्वी के बीच मध्यकाल माना जाता है। इसे भक्तिकाल भी कहते हैं। इस दौरान क्षेत्रीय बोलियों में भगवान की भक्ति को लेकर काफी कुछ लिखा गया। 19वीं सदी में आधुनिक काल की शुरुआत हुई, जिसमें भरपूर मात्रा में गद्य लिखे गए। अंग्रेजों के समय हिंदी ने देश के लोगों को एकजुट करने में अहम योगदान दिया और संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया था। इसी वजह से 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं, 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
भारतेंदु हरिशचंद्र का योगदान
भारतीय साहित्य पहले संस्कृत में ही लिखा जाता था। हालांकि, हिंदी आम लोगों के बीच लोकप्रिय होती चली गई। 1200 ईस्वी के बाद हिंदी में साहित्य लिखा जाने लगा। हालांकि, इस समय तक सिर्फ कविताएं लिखी जाती थीं। अमीर खुसरो ने हिंदी में पहली कविता लिखी थी। भारतेंदु हरिश्चंद्र को हिन्दी गद्य का जनक माना जाता है। उन्होंने 1850 से गद्द रचना की शुरुआत की और अन्य लेखकों को भी गद्य लेखन के लिए प्रेरित किया। कुछ विद्वान मानते हैं कि हिन्दी साहित्य की पहली प्रामाणिक गद्य रचना लाला श्रीनिवासदास द्वारा लिखा गया उपन्यास 'परीक्षा गुरु' है।