हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी की पिछली सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण राज्य सरकार को डीजल पर वैट बढ़ाने का कड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) को पूर्व के 4.40 रुपये से बढ़ाकर 7.40 रुपये कर दिया है। सुक्खू ने कहा कि डीजल पर वैट में मामूली वृद्धि का निर्णय राजस्व उत्पन्न करने के लिए किया गया क्योंकि राज्य सरकार को भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार से 75,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ विरासत में मिला है।
'पिछली सरकार ने सत्ता में बने रहने के लिए झूठे और बड़े-बड़े दावे करके लोगों को धोखा दिया'
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि पिछली सरकार ने उपचुनावों में भाजपा की करारी हार के बाद लोगों को मूर्ख बनाने के लिए डीजल और पेट्रोल पर वैट घटा दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि डीजल पर वैट बढ़ाने से माल ढुलाई शुल्क में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। नेता प्रतिपक्ष ठाकुर ने कहा कि डीजल अब 86 रुपये प्रति लीटर होगा। पलटवार करते हुए सुक्खू ने कहा कि ठाकुर नीत पिछली सरकार ने सत्ता में बने रहने के लिए झूठे और बड़े-बड़े दावे करके लोगों को धोखा दिया और अपने कार्यकाल के आखिरी छह महीनों के दौरान बिना कोई बजटीय प्रावधान किए 900 से अधिक संस्थान खोले।
उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अजीब है कि भाजपा मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के सरकार के फैसले पर सवाल उठा रही है जबकि उसकी सरकार ने ही इन पदों का सृजन किया। कैबिनेट मंत्री चंदर कुमार और रोहित ठाकुर ने भी मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों पर सवाल उठाए जाने और मंत्रिमंडल में कांगड़ा जिले के हितों की कथित तौर पर अनदेखी के संबंध में ठाकुर के बयान का खंडन किया।
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