Hijab controversy : हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जहां कुछ मुस्लिम संगठन अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं वहीं यह लड़ाई अब सड़कों पर भी आ गई है। मुस्लिम संगठनों ने कोर्ट के फैसले खिलाफ आज कर्नाटक में बंद का ऐलान किया है। बंद की अपील मुस्लिम संगठन अमीर-ए-शरीयत ने किया है। वहीं पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया और कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया जैसे संगठनों ने इस बंद को समर्थन दिया है। हिजाब मुद्दे पर बंद का मिलाजुला असर देखा जा रहा है। कर्नाटक बंद को लेकर मुस्लिम संगठनों ने बैठक की और बंद को मुकम्मल बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले प नाराजगी जताते हुए इस बंद का आह्वान किया है। इसी बीच कर्नाटक के मुस्लिम इलाकों में दुकानें बंद हैं। होली के बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले पर सुनवाई होगी।
हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कल सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई की अर्जी लगाई गई थी लेकिन कोर्ट ने कह दिया कि मामले को होली के बाद ही सुना जाएगा। फिर इसके बाद आनन फानन में मु्स्लिम संगठनों ने बैठक बुलाई और आज कर्नाटक बंद का ऐलान कर दिया।
होसपेट में दीवारों पर लिखे गए नारे
विजयनगर के जिला मुख्यालय होसपेट में कुछ शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक दीवारों पर लिख दिया गया कि “ हिजाब हमारी गरिमा है।” इसके कुछ देर बाद ही नगर निकाय के अधिकारियों ने इन्हें मिटा दिया। इस बाबत जिले के तीन थानों में चार मामले दर्ज किए गए हैं। सूचना के मुताबिक, विजयनगर कॉलेज, सरदार वल्लभभाई पटेल स्कूल, जिला स्टेडियम और गुरु अंडरग्रेजुएट कॉलेज की दीवारों पर लिख दिया गया ‘ हिजाब हमारी गरिमा है।’
विजयनगर कॉलेज के प्राचार्य शंकर आनंद सिंह की शिकायत पर चित्तवडगी पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। इससे नगर में तनाव व्याप्त होने की आशंका को देखते हुए नगर निकाय के कर्मियों को बुलाया गया और उन्होंने दीवारों पर लिखे गए इस नारे को मिटा दिया। पुलिस को संदेह है कि इस नारे को लिखने के लिए स्प्रै पेंट का इस्तेमाल किया गया है। घटना में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है।
हाईकोर्ट ने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। उसने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है।
इनपुट-भाषा
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