गुजरात में हुए मोरबी पुल हादसा मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। पुल ढहने की घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग वाली याचिका पर कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ अधिवक्ता विशाल तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिका में कहा गया है कि यह हादसा अधिकारियों की लापरवाही और घोर विफलता को दर्शाता है। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने एक नवंबर को इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था।
कुल 134 लोगों ने गंवाई जान
इस पर शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस मामले पर जल्द ही सुनवाई करेगी। गुजरात के मोरबी शहर में 30 अक्टूबर को मच्छु नदी पर ब्रिटिश काल का केबल पुल टूटने की घटना में महिलाओं और बच्चों समेत कुल 134 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कहा, ''पिछले एक दशक से हमारे देश में कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुप्रबंधन, ड्यूटी में चूक और रखरखाव की लापरवाही के कारण भारी जनहानि के मामले सामने आए हैं, जिन्हें टाला जा सकता था।''
हादसे से हिल गया था देश
गुजरात के मोरबी में हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। पिछले 7 महीने से यह पुल मरम्मत के लिए बंद था। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक पुल की मरम्मत और देखभाल का काम एक प्राइवेट कंपनी को 15 साल की लीज पर दिया गया था। लेकिन इस कंपनी ने पुल को जनता के लिए खोलने से पहले कोई फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं लिया। गुजराती नव वर्ष दिवस (25 अक्टूबर) पर कंपनी के मालिक जयसुखभाई पटेल की पोती ने पुल का उद्घाटन किया था। शनिवार को जयसुखभाई पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह दावा किया था कि मरम्मत के बाद यह पुल अब इतना मजबूत हो गया है कि इसे कोई भी अगले 8 से 10 वर्षों तक हिला नहीं सकता ।
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