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Hindi News भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास के निधन के बाद राज्य में 31 जनवरी तक रहेगा राजकीय शोक, आधा झुका रहेगा राष्ट्रीय ध्वज

स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास के निधन के बाद राज्य में 31 जनवरी तक रहेगा राजकीय शोक, आधा झुका रहेगा राष्ट्रीय ध्वज

स्वास्थ्य मंत्री नब दास का निधन हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हुआ है। आज झारसुगुड़ा जिले के ब्रजराजनगर के पास उन्हें गोली मारी गई थी। घटना उस वक्त हुई थी, जब नब दास ब्रजराजनगर के गांधी चौक पर एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे।

स्वास्थ्य मंत्री के निधन के बाद राज्य में रहेगा 3 दिन का राजकीय शोक - India TV Hindi Image Source : FILE स्वास्थ्य मंत्री के निधन के बाद राज्य में रहेगा 3 दिन का राजकीय शोक

भुवनेश्वर: ओडिशा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री नब किशोर दास के निधन के बाद उनके सम्मान में तीन दिन का राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। उन्हें राजकीय सम्मान देते हुए मृत्यु के दिन रविवार से और अंतिम संस्कार के दिन तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। पूरे राज्य में 29 जनवरी से 31 जनवरी तक 3 दिनों तक कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जायेगा। वहीं इससे पहले इस घटना की जांच के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विशेष जांच दल का गठन किया था।

घटना के वक्त एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे मंत्री   

बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास का रविवार को निधन हो गया था। उन्हें ASI गोपाल दास ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से 2 गोली मारी थीं। बता दें कि नब दास का निधन हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हुआ है। आज झारसुगुड़ा जिले के ब्रजराजनगर के पास उन्हें गोली मारी गई थी। घटना उस वक्त हुई थी, जब नब दास ब्रजराजनगर के गांधी चौक पर एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे।

ASI ने सर्विस रिवॉल्वर से किया था फायर

ASI गोपाल दास ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से ब्रजराजनगर में 10 से 15 हजार समर्थकों की एक जनसभा के दौरान मंत्री पर गोली चलाई थी। जब मंत्री को फूलों का गुलदस्ता दिया जा रहा था, तभी पुलिसकर्मी ने उनके सीने पर दो राउंड फायरिंग की थी। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां सीएम नवीन पटनायक उनका हाल लेने पहुंचे थे। 

ASI का चल रहा था इलाज 

हमलावर ASI गोपाल दास की पत्नी जयन्ती दास ने मीडिया को बताया था कि उसके पति का पिछले 7-8 साल से मानसिक असंतुलन की वजह से इलाज चल रहा था। जयन्ती दास ने बताया था कि उसे अपनी भतीजी से हमले की जानकारी मिली, जिसने टीवी देखी थी। जयन्ती दास ने ये भी बताया कि उसके पति कई महीनों ने छुट्टी मांग रहे थे, लेकिन उसे छुट्टी नहीं मिल रही थी। 

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बांग्लादेश: लुकाछिपी खेलते हुए मलेशिया पहुंच गया बच्चा, जानिए हैरान कर देने वाला मामला

यह हैरान कर देने वाली घटना बांग्लादेश के चटगांव की है। लुका-छिपी खेलने के दौरान छिपने की गलत जगह तलाश ली और खेलते वक्त वह एक शिप कंटेनर में छिप गया। इसके बाद वो उसी कंटेनर में फंसा रह गया।

Written By: Sudhanshu Gaur  @SudhanshuGaur24
Updated on: January 29, 2023 22:57 IST

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Image Source : TWITTER/DAILYCASTKमलेशिया पहुंचा बच्चा

चटगांव: बचपन में हम सभी ने लुकाछिपी का खेल खूब खेला है। गांवों में यह खेल आज भी खूब खेला जाता है। इसमें कुछ लोग कई जगहों पर छुपते हैं और कोई एक व्यक्ति छुपे हुए अन्य लोगों को ढूंढता है। इस खेल से जुड़ी हुई कुछ न कुछ यादें शायद आप सभी की भी अवश्य याद होंगी, लेकिन बांग्लादेश में एक बच्चे के साथ इस इस खेल के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि शायद ही वह कभी याद करना चाहे। लुकाछिपी खेलते-खेलते वह एक ऐसी जगह छुप गया कि वो 6 दिन का सफर करते हुए दूसरे देश ही पहुंच गया। इस दौरान न उसने कुछ खाया और न पिया। 

चटगांव के बंदरगाह पर खड़े शिप कंटेनर में छिपा था बच्चा 

यह हैरान कर देने वाली घटना बांग्लादेश के चटगांव की है। लुका-छिपी खेलने के दौरान छिपने की गलत जगह तलाश ली और खेलते वक्त वह एक शिप कंटेनर में छिप गया। इसके बाद वो उसी कंटेनर में फंसा रह गया। वो 6 दिन के बाद सीधे समुद्र के रास्ते मलेशिया पहुंच गया। उस बच्चे को पता भी नहीं चल पाया कि वो जा कहां रहा है। बच्चा इतना डर गया कि वह 6 दिनों तक कंटेनर में एक कोने में ही बैठा रहा और कंटेनर की दीवारों पर हाथ-पैर मारता रहा और मदद के लिए चिल्लाता रहा। बांग्लादेशी बच्चा शिपिंग कंटेनर में 11 जनवरी को छिपने गया था और 17 जनवरी को मलेशिया के पोर्ट क्लांग पहुंच गया। उसने कंटेनर के अंदर पूरे 6 दिन की यात्रा की।

शुरुआत में तस्करी का लगा मामला 

यह शिप कंटेनर 6 दिन की यात्रा के बाद मलेशिया पहुंचा तो बंदरगाह के कर्मचारियों ने उसे निकाला। शुरुआत में अधिकारियों को लगा कि शायद यह मामला तस्करी का है, लेकिन पूछताछ के दौरान पूरे मामले का खुलासा हुआ। जांच में पता लगा कि बच्चे का नाम फहीम है और वो बांग्लादेश का है। इसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने बच्चे का ईलाज कराया और उसे वापस बांग्लादेश भेज दिया। 

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