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Hindi News भारत राष्ट्रीय रिपोर्ट में खुलासा- कोविड ने घटा दी है भारतीयों की जिन्दगी, जानिए क्या है सच्चाई?

रिपोर्ट में खुलासा- कोविड ने घटा दी है भारतीयों की जिन्दगी, जानिए क्या है सच्चाई?

कोरोना महामारी और उस दौरान मौत का तांडव, उसकी यादें लोगों के जेहन में वैसे ही ताजा हैं। अब रिसर्च में ये बात सामने आई है कि क्या कोविड ने भारत के लोगों का जीवन ढाई साल कम कर दिया है। जानिए इसपर केंद्र सरकार ने क्या कहा है।

covid lifespan- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO कोविड के साइड इफेक्ट पर बोली सरकार

कोविड महामारी ने क्या भारतीयों की उम्र कर दी है, अकादमिक जर्नल साइंस एडवांस में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है जिसमें ऐसा कहा गया है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसका पूरी तरह से खंडन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में लोगों की उम्र में उल्लेखनीय गिरावट आई है। मंत्रालय ने अध्ययन के अनुमानों को "अस्थिर और अस्वीकार्य" कहकर खारिज कर दिया है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2019 से 2020 तक जीवन प्रत्याशा यानी लाइफस्पैन में 2.6 साल की कमी देखी गई, जिसमें मुस्लिम और अनुसूचित जनजाति (एसटी) जैसे सामाजिक रूप से वंचित समूहों को सबसे गंभीर प्रभाव का सामना करना पड़ा। अध्ययन में ये दावा किया गया कि पुरुषों (2.1 वर्ष) की तुलना में महिलाओं में अधिक गिरावट (3.1 वर्ष) देखी गई है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी आलोचना की है।

केंद्र सरकार ने सिरे से किया खारिज, जानें क्या कहा

मंत्रालय ने कहा है कि सिर्फ 14 राज्यों के 23 प्रतिशत परिवारों का विश्लेषण कर ये अनुमान कैसे लगाया जा सकता है। मंत्रायल ने कहा है कि ये डेटा कोविड -19 महामारी के चरम के दौरान एकत्र किया गया था। सरकार ने बताया कि 2019 की तुलना में 2020 में मृत्यु पंजीकरण में लगभग 474,000 की वृद्धि हुई, यह प्रवृत्ति पिछले वर्षों के अनुरूप है और केवल महामारी के लिए जिम्मेदार नहीं है।

सरकार ने उम्र और लिंग संबंधी मृत्यु दर में वृद्धि पर अध्ययन के निष्कर्षों का भी विरोध किया। आधिकारिक आंकड़ों से संकेत मिलता है कि पुरुषों और अधिक आयु समूहों में कोविड-19 मृत्यु दर अधिक थी, जो अध्ययन के इस दावे का खंडन करता है कि युवा व्यक्तियों और महिलाओं में मृत्यु दर अधिक थी। मंत्रालय ने कहा, "प्रकाशित पेपर में ये असंगत और अस्पष्ट परिणाम इसके दावों पर विश्वास को और कम कर देते हैं।"

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