तेजी से अपना पैटर्न बदल रहा है H3N2 इंफ्लूएंजा, एक्सपर्ट्स की चेतावनी- अस्पतालों में बढ़ेगी भीड़
कर्नाटक और हरियाणा में H3N2 वायरस के संक्रमण से हुई कुल 2 मौतों ने इसे लेकर सरकार और आम जनता की चिंता बढ़ा दी है।
इन्फ्लूएंजा H3N2 वायरस की जांच में एक्सपर्ट्स ने पाया है कि यह लोगों को गंभीर रूप से बीमार कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्सपर्ट्स ने कहा है कि यह वायरस विशेष रूप से गंभीर फेफड़ों के संक्रमण का कारण बन रहा है, और इसने 'केवल 6 महीनों में अप्रत्याशित रूप से अपना पैटर्न बदल दिया है।' बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह H3N2 के संक्रमण से उपजे हालात पर करीबी नजर रखे हुए है और मार्च के अंत से मामले घटने की उम्मीद है। मंत्रालय ने बताया कि 2 जनवरी से 5 मार्च तक देश में H3N2 के 451 मामले सामने आये हैं।
'अप्रत्याशित रूप से बदल गया वायरस का पैटर्न'
एक्सपर्ट्स ने पाया है कि वायरस का पैटर्न अप्रत्याशित रूप से बदल गया है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के एक वरिष्ठ कंसल्टैंट डॉ. धीरेन गुप्ता ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, 'पिछले 6 महीनों में वायरस के पैटर्न में उल्लेखनीय और अप्रत्याशित रूप से बदलाव आया है। आम तौर पर, हम इन्फ्लूएंजा को नंबर 1 वायरस होने की उम्मीद करते हैं जो अस्पताल में भर्ती होने का कारण बन सकता है। इस बार इन्फ्लुएंजा A वायरस के सबटाइप H3N2 ने सांस की नली के बहुत सारे संक्रमणों को जन्म दिया है।' भारत में H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस से संबंधित पहली दो मौतें हरियाणा और कर्नाटक में हुई हैं।
हरियाणा और कर्नाटक में एक-एक मौत
कर्नाटक में 82 साल के हीरे गौड़ा नाम के व्यक्ति की H3N2 वायरस से एक मार्च को मौत हो गई। कर्नाटक के हासन जिले के स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि हलागे गौड़ा के बेटे हीरे गौड़ा की एक मार्च को H3N2 वायरस से मौत होने की पुष्टि हुई है।’ उन्होंने बताया कि वह डायबिटिज से पीड़ित थे और उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की भी समस्या थी। हरियाणा में स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में एक व्यक्ति की H3N2 वायरस से मौत होने की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया जींद निवासी 56 वर्षीय मरीज की 8 फरवरी को घर पर मौत हो गई। उन्होंने कहा, 'वह फेफड़े के कैंसर का मरीज थे और 17 जनवरी को उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।’
क्या हैं H3N2 इंफ्लूएंजा के लक्षण?
WHO के मुताबिक, H3N2 से संक्रमित होने पर बुखार, खांसी (आमतौर पर सूखी), सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकावट, छाती में जकड़न, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण नजर आते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने देश भर में खांसी, जुकाम और जी मिचलाने के बढ़ते मामलों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग को लेकर आगाह किया है। IMA ने कहा कि मौसमी बुखार 5 से 7 दिनों तक रहेगा। IMA की एक स्थायी समिति ने कहा कि बुखार 3 दिन में खत्म हो जाएगा, लेकिन खांसी 3 हफ्ते तक बरकरार रह सकती है।
लक्षण दिखने पर बरतें ये सावधानियां
प्लस ऑक्सीमीटर की मदद से लगातार ऑक्सीजन का स्तर चेक करते रहें और अगर ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 95 प्रतिशत से कम है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। अगर ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 90 प्रतिशत से कम हो जाता है तब मरीज को इन्टेंसिव केयर की जरूरत पड़ सकती है, और ऐसे में खुद दवाई लेना खतरनाक हो सकता है। अगर बच्चों और बूढ़ों को बुखार और कफ जैसी समस्या होती है तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। चूंकि यह संक्रमण वायरस से होता है, इसलिए इसमें एंटिबायटिक लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि एंटिबायटिक सिर्फ बैक्टीरिया में कारगर होते हैं।