Gyanvapi Mosque Row: ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद से ये मामला देशभर में सुर्खियों में है। इस बीच काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट (KVT) के चेयरमैन प्रोफेसर नागेंद्र पांडे ने बुधवार को बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में जिस शिवलिंग के मिलने का दावा किया गया है, उसे काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) को सौंप देना चाहिए। जिससे जब तक ये मामला कोर्ट में है, तब तक उसकी पूजा की जा सके।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान प्रोफेसर पांडे ने कहा, 'अगर वहां बाबा विशेश्वर का शिवलिंग मिला है, तो वजूखाना कैसे हो सकता है। ये नहीं हो सकता। हम मांग करते हैं कि जब तक फैसला नहीं आता, शिवलिंग को काशी विश्वनाथ न्यास को सौंप देना चाहिए, जिससे उसकी विधि के साथ पूजा हो सके।'
क्या है मामला
कोर्ट की मॉनीटरिंग में काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) परिसर वाराणसी में 3 दिन का वीडियो सर्वे करवाया गया था। सोमवार को इस मामले में हिंदू याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने ये दावा किया था कि कमेटी को परिसर में शिवलिंग मिला है। इसके बाद इस जगह की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था।
सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करने पर रोक नहीं होगी। शिवलिंग वाली जगह को प्रशासन सुरक्षित रखेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पार्टी को नोटिस जारी किया है और यूपी सरकार से जवाब भी मांगा है। कोर्ट ने फिलहाल गुरुवार तक सुनवाई टाल दी है।
क्या कह रहे हैं हिंदू और मुस्लिम पक्ष
दरअसल वजूखाने के बीचों बीच स्थित एक ठोस संरचना को हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है। इस मामले में वकील हरिशंकर जैन ने बताया था कि वजूखाने में शिवलिंग ही मिला है। वहीं, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद खां के अनुसार वजूखाने में जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है वह असल में फव्वारा है।
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