Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मस्जिद पर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस विवाद में एंट्री हुई है समाजावादी पार्टी के विधायक अबू आजमी की। इंडिया टीवी से बातचीत में अबू आजमी ने कहा कि ज्ञानवापी हमारी नजर में मस्जिद है और रहेगी लेकिन कोर्ट से अगर ये फैसला आ जाए कि बहुसंख्यक चाहते है कि ज्ञानवापी मस्जिद अब मंदिर बन जाए तो हम क्या कर सकतें है। जो कोर्ट के फैसले आ रहें है वो निराशाजनक है। कोर्ट ने अगर फैसला सही दिया तो हमारी उम्मीद बढ़ेगी लेकिन कोर्ट अगर उनके दबाव में आ गई तो फिर उम्मीद नहीं लगती है।
'डर' की सियासत कर रहें है अबू आजमी
इंडिया टीवी से बातचीत में वजू की दिवार हटाने की याचिका के सवाल पर अबू आजमी ने कहा कि वजू की दिवार तोड़ दी जाएगी.. मस्जिद भी तोड़ दी जाएगी। इस सरकार में ऐसी कोई चीज नहीं है जिसे सरकार चाहे और वो ना हो.. उन्होंने पहले भी ये करके दिखाया है। बाबरी मस्जिद की जगह ले ली गई, ये जो चाहे वो कर लेंगे। हमें ऐतराज तो बहुत है लेकिन हम कुछ नहीं कर सकतें क्योंकि फैसले अब मेजॉरिटी पर हो रहे हैं।
'ज्ञानवापी में कुछ भी नहीं है लेकिन सर्वे टीम को वहां मूर्ति भी दिखाई देगी'
शिवलिंग को फव्वारा बताने वाले असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर आजमी ने कहा, ''सर्वे टीम को वहां अब शिवलिंग भी दिखाई देगा, भगवान की मुर्तियां भी दिखाई देगी और मंदिर भी दिखाई देगा क्योंकि उनको जो करना है वो करेंगे। पक्की बात है.. वहां ( ज्ञानवापी में ) कुछ भी नहीं है फिर भी इन्हें वहां ये सब दिखाई देगा.. हम क्या कर सकतें है।'' आजमी ने आगे कहा, ''अब इनको कुतुबमिनार भी दिख रहा है, ताजमहल भी दिख रहा है। लालकिले को तोड़ दो.. मार दो 20 करोड़ मुसलमानो को। जब देश में धर्मसंसद में 20 लाख मुसलमानों को मारने की बात करने के बाद भी कुछ नहीं होता है तो मेरे पास बोलने के लिए कुछ वहीं बचा है। इस देश में जो कुछ हो रहा है वो सही नहीं है। देश को बर्बादी के कगार पर मत ले जाओ। मैं भारत की 135 करोड़ जनता को जगाना चाहता हूं।''
'ज्ञानवापी मस्जिद की लड़ाई में कानूनी मदद मुहैया कराऊंगा'
अबू आजमी ने आरोप लगाया कि बहुसंख्यक वर्ग को खुश करने के लिए फैसले दिए जा रहे हैं। जब आतंकी कसाब को सरकार कानूनी मदद दे सकती है, तो मैं भी अपनी मस्जिद को कानूनी मदद दे सकता हूं। हम सभी हिंदू-मुस्लिम भाई मिलकर इस लड़ाई को लड़ेंगे। जनता को बताना है कि गलत हो रहा है। जनता से अपील है कि वो जागे और इस लड़ाई को सड़क की बजाय कोर्ट में लड़े।
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