Gyanvapi Masjid Row: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) सुप्रीम कोर्ट का ‘अनादर’ करते हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल हुआ और बाद में कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा ''ऐतिहासिक कारणों'' के चलते यह आवश्यक था। उन्होंने पूछा कि क्या संघ ज्ञानवापी मामले में भी यही तरीका अपनाएगा? हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के गुरुवार के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए कई ट्वीट किए, जिसमें भागवत ने कहा था कि ज्ञानवापी विवाद में आस्था से जुड़े कुछ मुद्दे शामिल हैं और इसपर अदालत के फैसले को सभी मानें।
'भागवत के भड़काऊ भाषण को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए'
ओवैसी ट्वीट किया, ''ज्ञानवापी को लेकर भागवत के भड़काऊ भाषण को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि बाबरी के लिए आंदोलन ''ऐतिहासिक कारणों से'' आवश्यक था। दूसरे शब्दों में, आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं किया और मस्जिद के विध्वंस में भाग लिया। क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे?''
'भले ही आज के मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे, लेकिन वे संविधान के आधार पर भारत के नागरिक हैं'
ओवैसी ने कहा कि जबरन धर्मांतरण एक झूठ है और भागवत व उनके जैसे लोग यह स्वीकार नहीं कर सकते कि आधुनिक भारत में पैदा हुए लोग भारतीय नागरिक हैं। भागवत ने कहा था कि यह अप्रासंगिक है कि उनके पूर्वज कहां से आए, या वे कौन थे या उन्होंने क्या किया। ओवैसी ने कहा कि भले ही आज के मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे, लेकिन वे संविधान के आधार पर भारत के नागरिक हैं। उन्होंने पूछा कि यदि कोई यह कहने लगे कि भागवत के पूर्वजों का जबरन बौद्ध धर्म से धर्मांतरण कराया गया था, तो क्या होगा?
ओवैसी ने ट्वीट किया, ''अदालतों को चाहिए कि वे इसे जड़ से खत्म कर दें। अगर इन चीजों को बढ़ने दिया जाता है, तो हम भीड़ को उत्साहित करने के लिए सबकुछ करेंगे। मोहन कहते हैं कि इस्लाम आक्रमणकारियों के साथ आया था। वास्तव में, यह मुस्लिम व्यापारियों, विद्वानों और संतों के माध्यम से आया था, मुस्लिम आक्रमणकारियों के भारत आने से भी बहुत पहले।''
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