गुरमीत राम रहीम को कोर्ट से बड़ी राहत, पैरोल के खिलाफ दायर याचिका को किया खारिज
गुरमीत राम रहीम को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने राम रहीम की पैरोल दिए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
Gurmeet Ram Rahim: गुरमीत राम रहीम को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट(High Court) से बड़ी राहत मिली है। राम रहीम की पैरोल(Parole) दिए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस पीआईएल(PIL) को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने इस पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि एक इंसान के खिलाफ याचिका को जनहित याचिका कैसे माना जाए। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को एचसी अरोड़ा की रिप्रेजेंटेशन को एक हफ्ते में निपटारा करने के निर्देश दिए।
राम रहीम को पहले भी कई बार मिल चुकी है पैरोल
ज्ञात हो कि गुरमीत राम रहीम कोर्ट से मिली पैरोल पर बाहर हैं। राम रहीम 2017 से सुनारिया जेल में बंद थे। बता दें कि विवादित बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम को पहले भी कई बार जेल से पैरोल मिल चुकी है। गौरतलब है गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में साध्वी यौन शोषण मामले में 20 साल की सजा काट रहे हैं। इससे पहले भी राम रहीम (Dera chief Gurmeet Ram Rahim) को फरलो और पैरोल मिल चुकी है। उनको इस बार भी जेल मैनुअल के अनुसार पैरोल दी गई है।
महिला आयोग ने राम रहीं को वापस जेल भेजने की मांग की थी
आपको बता दें कि हाल में दिल्ली महिला आयोग(DCW) की चीफ स्वाति मालीवाल ने पीएम मोदी को एक लेटर लिखकर बिल्किस बानो(Bilkis Bano) के दोषियों और गुरमीत राम रहीम(Gurmeet Ram Rahim) को वापस जेल भेजने की मांग की थी।
'मौजूदा नियम और नीतियां बहुत ज्यादा कमजोर'
कमीशन ने सिफारिश की थी कि बिलकिस बानो के दोषियों और गुरमीत राम रहीम की समय से पहले रिहाई के मामले को संबंधित राज्य सरकारों और गृह मंत्रालय, भारत सरकार के साथ उठाया जाए। ताकि दुष्कर्म के दोषियों को उनकी पूरी सजा दी जा सके और गुरमीत राम रहीम की पैरोल रद्द किया जा सके। आयोग ने गुरमीत राम रहीम के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सरकार के सीनियर ऑफिसर्स के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की थी।
कमीशन की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इन घटनाओं को बेहद विचलित करने वाला करार देते हुए कहा कि, देश में सजा में छूट, पैरोल और यहां तक कि फरलो के मामले में मौजूदा नियम और नीतियां बहुत ज्यादा कमजोर हैं।