Gujarat Riots: तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गुजरात दंगा मामले में गिरफ्तार सीतलवाड़ को शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ से अपना पासपोर्ट सरेंडर करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि तीस्ता की रेगुलर बेल पर हाई कोर्ट फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने तीस्ता को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने की शर्त पर उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है। जब तक हाई कोर्ट से सीतलवाड़ को रेगुलर बेल नहीं मिल जाती, वे देश के बाहर नहीं जा सकतीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि वह तीस्ता को जमानत पर नहीं छोड़ रहा है, सिर्फ जब तक हाई कोर्ट द्वारा उनकी रेगुलर बेल पर कोई फैसला नहीं आ जाता, कोर्ट उन्हें अंतरिम जमानत दे रहा है।
गुजरात दंगों में 'बेगुनाहों' को फंसाने के हैं आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में ‘बेगुनाह लोगों’ को फंसाने के लिए कथित रूप से साक्ष्य गढ़ने को लेकर गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अग्रिम जमानत दे दी है। कोर्ट में दायर जमानत याचिका के जवाब में, गुजरात सरकार ने कहा है कि कार्यकर्ता (सीतलवाड़) ने एक वरिष्ठ नेता के इशारे पर अन्य आरोपियों के साथ साजिश को ‘अंजाम’ दिया था। राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि सीतलवाड़ ने उक्त नेता के साथ बैठक की थी और उनसे “काफी रकम” प्राप्त की थी। सीतलवाड़ को इस मामले में जून में गिरफ्तार किया गया था।
"गुजरात सरकार को बदनाम करने की बड़ी साजिश का हिस्सा"
SIT ने अदालत में दावा किया था कि सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी श्रीकुमार कांग्रेस पार्टी के दिवंगत नेता अहमद पटेल द्वारा राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार को अस्थिर करने के लिए रची गई ‘‘वृहद साजिश’’का हिस्सा थे। एसआईटी ने आरोप लगाया कि साल 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन के पास रेलगाड़ी को जलाए जाने के बाद भड़के दंगे के बाद पटेल के कहने पर सीतलवाड़ को 30 लाख रुपये मिले थे। एसआईटी ने अदालत से कहा कि श्रीकुमार ‘‘असंतुष्ट सरकारी अधिकारी’’थे जिन्होंने ‘‘पूरे गुजरात राज्य के निर्वाचित प्रतिनिधियों, नौकरशाही, पुलिस प्रशासन को गुप्त उद्देश्य हेतु बदनाम करने के लिए प्रक्रिया का दुरुपयोग किया था।’’
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