नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों में से 610 लोगों की संपत्ति उन्हें वापस की गयी है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। राय ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी प्रवासी लोगों की अचल संपत्ति के कानूनी अभिरक्षक होते हैं। जम्मू कश्मीर सरकार ने ऐसे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए पिछले साल एक पोर्टल की शुरूआत की है। जिसमें उन लोगों के बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है जो अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने के लिए विवश हुए और जिनकी संपत्ति जबरन ले ली गई।
जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए मिला निवेश
राय ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसे लोगों की संपत्ति वापस लौटाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है और अब तक पोर्टल पर आवेदन करने वाले 610 आवेदकों की संपत्ति वापस की गयी है। जम्मू कश्मीर में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार के विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए राय ने कहा कि जम्मू कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए 51,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं और इससे केंद्रशासित प्रदेश में 4.5 लाख युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है।
सड़कों के निर्माण से बदल रही प्रदेश की तस्वीर
राय ने कहा सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के सुखद परिणाम सामने आए हैं और दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण में तेजी आने से आवागमन भी सुगम हुआ है। उन्होंने कहा कि 2019 तक वहां प्रतिदिन औसतन 6.54 किलोमीटर सड़क बन रही थी है लेकिन अब प्रतिदिन औसतन 20.68 किलोमीटर सड़क बन रही है। उन्होंने कहा कि वहां एक हजार तक की आबादी वाली बस्तियां सड़कों से जुड़ गई हैं और 500 तक की आबादी वाली बस्तियों को 2023 तक सड़कों से जोड़ देने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि काजीगुंद-बनिहाल सुरंग बन जाने से श्रीनगर और जम्मू के बीच की दूरी तय करने में आसानी होगी और इस यात्रा में पहले जहां 10 घंटे लगते थे, वहीं अब यह यात्रा पांच घंटे 50 मिनट में पूरी होगी।
(इनपुट भाषा)
Latest India News