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Hindi News भारत राष्ट्रीय सरकार ने हमारी सभी मांगें मानीं, 4 दिसंबर को खत्म कर सकते हैं आंदोलन: किसान नेता सतनाम सिंह

सरकार ने हमारी सभी मांगें मानीं, 4 दिसंबर को खत्म कर सकते हैं आंदोलन: किसान नेता सतनाम सिंह

SKM ने एक बयान में कहा था कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं।

Kisan Andolan, Kisan Andolan Khatm, Farmers Agitation, Farm Leaders, Farm Leaders MSP- India TV Hindi Image Source : PTI REPRESENTATIONAL किसान नेता सतनाम सिंह ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने हमारी सभी मांगें मान ली हैं।

Highlights

  • पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा किसानों का आंदोलन जल्द ही समाप्त हो सकता है।
  • सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से MSP मामले पर चर्चा के लिए 5 नाम मांगे हैं।
  • सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर 32 जत्थेबंदियों की बैठक खत्म हो गई है।

नई दिल्ली: पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा किसानों का आंदोलन जल्द ही समाप्त हो सकता है। किसान नेता सतनाम सिंह ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने हमारी सभी मांगें मान ली हैं, और हम 4 दिसंबर को आंदोलन खत्म करने का फैसला ले सकते हैं। बता दें कि सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से MSP मामले पर चर्चा के लिए 5 नाम मांगे हैं। सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर 32 जत्थेबंदियों की बैठक खत्म हो गई है, जिसके बाद किसान नेता सतनाम सिंह का यह बयान सामने आया है।

संसत में निरस्त हुए तीनों कृषि कानून
बता दें कि संसद में 3 कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने को प्रदर्शनकारियों की जीत करार देते हुए पंजाब के किसान नेताओं ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी सहित अपनी अन्य मांगों पर शीतकालीन सत्र में मंगलवार को फैसला करने का केंद्र से अनुरोध किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक दिसंबर को आपात बैठक बुलाई है। SKM 40 किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहा है। 

‘कानूनों को निरस्त किया जाना बड़ी जीत’
SKM ने एक बयान में कहा था कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं। इसने कहा, ‘किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों के निरस्त होने के साथ आज भारत में इतिहास रच गया। लेकिन तीनों कृषि कानून को निरस्त करने के लिए पेश किये जाने पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गई।’ किसान संगठन ने कहा कि ये कानून पहली बार जून 2020 में अध्यादेश के रूप में और बाद में सितंबर 2020 में पूरी तरह से कानून के रूप में लाये गये थे लेकिन ‘दुर्भाग्य से बगैर किसी चर्चा के उस वक्त भी इन्हें पारित किया गया था।’

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