नयी दिल्ली: संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने शनिवार को बताया कि उत्तर प्रदेश के बांदा के लोखरी में एक मंदिर से अवैध रूप से हटाई गई 10वीं शताब्दी की पत्थर की बकरी के सिर वाली योगिनी की मूर्ति भारत वापस लाई जा रही है। इससे पहले लंदन में भारतीय उच्चायोग ने मूर्ति बरामद होने की घोषणा की थी। मूर्ति एक बकरी के सिर वाली योगिनी की है, जो मूलरूप से बलुआ पत्थर में पत्थर के देवताओं के एक समूह से संबंधित है और वह लोखरी मंदिर में स्थापित था।
लंदन में एक निजी निवास के बगीचे में पाई गई मूर्ति
वर्ष 1986 में नयी दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय की ओर से भारतीय विद्वान विद्या दहेजिया के अध्ययन का यह विषय था, जिसे बाद में ‘योगिनी पंथ और मंदिर: एक तांत्रिक परंपरा’ शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया था। अक्टूबर 2021 में भारतीय उच्चायोग को बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्तिकला की खोज के बारे में जानकारी मिली, जो लंदन के पास एक निजी निवास के बगीचे में पाई गई। यह लोखरी संग्रह के विवरण से मेल खाती थी। लोखरी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले में मऊ अनुमंडल में एक छोटा सा गांव है।
पेरिस में भी मिली थी योगिनी की एक ऐसी ही मूर्ति
सिंगापुर की इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट और लंदन की आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल संस्था ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को मूर्ति की पहचान और उसकी बरामदगी में तत्परतापूर्वक सहायता की, जबकि भारतीय उच्चायोग ने स्थानीय और भारतीय अधिकारियों के साथ अपेक्षित दस्तावेज तैयार किए। इसी तरह, 2013 में पेरिस में भारतीय दूतावास ने भैंस के सिर वाली वृषणा योगिनी की एक ऐसी ही मूर्ति को बरामद किया था, जो निश्चित तौर पर लोखरी गांव के उसी मंदिर से चुराई गई थी। इस वृषणा योगिनी की मूर्ति को सितंबर 2013 में नयी दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थापित किया गया था।
मूर्ति को नई दिल्ली के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भेज दिया गया
बता दें कि योगिनियां तांत्रिक पूजा पद्धति से जुड़ी शक्तिशाली महिला देवताओं का एक समूह हैं। उन्हें एक समूह के रूप में पूजा जाता है, जिसमें अक्सर 64 होती हैं और माना जाता है कि उनके पास अनंत शक्तियां होती हैं। मकर संक्रांति के शुभ दिन लंदन में स्थित उच्चायोग पहुंची बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्ति को नई दिल्ली के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भेज दिया गया।
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