Free Scheme Policy: देश में चुनाव जीतने के लिए मुफ्त के योजना चलाने का प्रचलन देखने को मिल रहा है। इसमें आम आदमी पार्टी सबसे आगे है। दिल्ली में 200 यूनिट बिजली देने के बाद पंजाब को 300 बिजली यूनिट देने की बात कही। गुजरात में आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए केजरीवाल ने इस तरह के फ्री में कई योजनाओं को लागू करने के लिए रैली के दौरान घोषणा की है। वही गुजरात में आप बीजेपी आमने सामने है। हाल ही में गुजरात गए दौरे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मुफ्त को लेकर बीजेपी को खुब घेरा। अरविंद केजरीवाल ने वादा किया है कि अगर गुजरात में आप की सरकार आती है तो फ्री बिजली दिए जाएंगे। इसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तंज कसते हुए कहा कि अगर सियासत में स्वार्थ होंगे तो कोई भी आकर पेट्रोल-डीजल मुफ्त देने का एलान कर सकता है। इसके पलटवार में दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि टैक्स पेयर के साथ धोखा तब होता है जब चंद साथियों के बैंक कर्ज माफ कर किए जाते हैं। आज इस खबर में जानने का प्रयास करेंगे कि ये मुफ्तखोरी क्या है और कहां से पहली बार मुफ्तखोरी की प्रथा शुरू हुई।
ये मुफ्तखोरी का मतलब क्या है?
राजनीतिक दल लोगों के वोट को सुरक्षित करने के लिए मुफ्त बिजली, पानी की आपूर्ति, बेरोजगारों, दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों और महिलाओं के साथ-साथ गैजेट जैसे लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि की पेशकश करने का वादा करते हैं ताकि चुनाव अपनी जीत पक्की कर सके। ऐसे कई राज्य है जिन्हें ये आदत हो गई है, चाहे वह कर्ज माफी के रूप में हो या मुफ्त बिजली, साइकिल, लैपटॉप, टीवी सेट मतलब वो वोटर्स को फ्री में उपहार देकर उनकी वोट को एक तरह से खरीदने की कोशिश करते हैं।
मुफ्त वाली प्रथा कहां से शुरू हुई
तमिलनाडु की तत्तकालिन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने अपने प्रदेश कई मुफ्त वाली योजना पहली बार शुरू किया था, जिसमें मुफ्त साड़ी, प्रेशर कुकर, वाशिंग मशीन, टेलीविजन सेट आदि का वादा किया गया था। जिसके बाद से तमिलनाडु के लोगों को इसका लाभ मिली। वही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के मतदाताओं को मुफ्त बिजली, पानी, बस यात्रा का वादा करके, 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की।
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