Free Electricity: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली सरकार एक अक्टूबर से उन्हीं उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी (Electricity Subsidy Delhi) देगी, जिन्होंने इसका विकल्प चुना होगा। दिल्ली के उपभोक्ताओं को वर्तमान में 200 यूनिट तक कोई बिल नहीं भरना होता है, जबकि प्रति माह 201 से 400 यूनिट बिजली की खपत पर 800 रुपये की सब्सिडी मिलती है। मुफ्त बिजली के वादे के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब समेत अन्य राज्यों में भी इसे एक अहम मुद्दा बनाया था।
असर खोता जा रहा है फ्री बिजली का लॉलीपॉप?
आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत दर्ज की थी, जबकि अन्य राज्यों में कुछ खास असर छोड़ पाने में नाकाम रही थी। अगले कुछ महीनों में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में दिल्ली में सब्सिडी को लेकर शर्त को इस नजरिए से भी देखा जा रहा है कि फ्री बिजली (Free Electricity) का लॉलीपॉप अब लोगों के बीच असर खोता जा रहा है। केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली सरकार अब लोगों से पूछेगी कि क्या वे बिजली पर सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं। एक अक्टूबर से केवल उन उपभोक्ताओं को सब्सिडी प्रदान की जाएगी जो इस विकल्प को चुनते हैं।’
गुजरात, हिमाचल प्रदेश में क्या होगी रणनीति?
पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी ने फ्री बिजली का वादा जरूर किया था, लेकिन यह बात पार्टी नेतृत्व भी जानता है कि सिर्फ इसी एक मुद्दे के भरोसे पार्टी सत्ता में नहीं आई थी। वहीं, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी विभिन्न दलों ने फ्री बिजली देने की बात कही थी, लेकिन मतदाताओं ने इन वादों को गंभीरता से नहीं लिया था। ऐसे में एक आम समझ यह बन रही है कि फ्री बिजली का लॉलीपॉप अपनी मिठास खोता जा रहा है और सरकार से लोगों की अपेक्षाएं इससे कहीं ज्यादा हैं। यही वजह है कि बीजेपी बार-बार फ्री बिजली के वादे को एक ‘जाल’ बताते हुए अन्य मुद्दों को प्रमुखता से रखती है और वह काफी सफल भी हुई है।
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