जन्म से पहले बच्चे में जेनेटिक डिसऑर्डर परखने में फेल हुए 4 डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज
दंपती ने आरोप लगाया कि डॉक्टर प्रसव पूर्व जांच के दौरान गंभीर विकृतियों का पता लगाने में विफल रहे और इसके बजाय उन्हें आश्वासन दिया कि रिपोर्ट सामान्य है। शिकायत के अनुसार, दंपती ने यह भी दावा किया कि उन्हें डिलीवरी के चार दिन बाद ही बच्चा दिखाया गया।
केरल में एक नवजात शिशु में गंभीर विकृतियों का पता नहीं लगा पाने को लेकर 4 डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि जिन डॉक्टरों पर आरोप लगाया गया है उनमें अलाप्पुझा में कडप्पुरम सरकारी महिला एवं बाल अस्पताल की दो महिला डॉक्टर और निजी जांच प्रयोगशाला के दो डॉक्टर शामिल हैं। पुलिस ने अलाप्पुझा के एक दंपती अनीश और सुरुमी की एक शिकायत के आधार पर मंगलवार को एक FIR दर्ज की। डॉक्टरों पर दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने समेत भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले में आरोपी दो डॉक्टर दो ‘स्कैन सेंटर’ संचालित करते थे।
राज्य स्वास्थ्य विभाग ने दिए जांच के आदेश
इस बीच, राज्य स्वास्थ्य विभाग ने भी मामले की जांच के आदेश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक के नेतृत्व में एक विशेष टीम उन आरोपों की जांच करेगी कि अलाप्पुझा के महिला एवं बाल अस्पताल में प्रसव पूर्व जांच के दौरान शिशु की विसंगतियों का पता नहीं चला। बुधवार को मामला सामने आने के बाद मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को तत्काल जांच शुरू करने का निर्देश दिया। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, जिला स्तर पर जांच पहले से ही की जा रही है। जांच में मामले से जुड़े ‘स्कैनिंग सेंटर’ भी शामिल होंगे। मंत्री ने कहा, ‘‘अगर जांच के दौरान कोई चूक पाई जाती है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’’
डिलीवरी के 4 दिन बाद दिखाया बच्चा
दंपती ने आरोप लगाया कि डॉक्टर प्रसव पूर्व जांच के दौरान गंभीर विकृतियों का पता लगाने में विफल रहे और इसके बजाय उन्हें आश्वासन दिया कि रिपोर्ट सामान्य है। शिकायत के अनुसार, दंपती ने यह भी दावा किया कि उन्हें डिलीवरी के चार दिन बाद ही बच्चा दिखाया गया। प्राथमिकी में कहा गया कि 35 वर्षीय सुरुमी को प्रसव के लिए कडप्पुरम महिला एवं बाल अस्पताल में 30 अक्टूबर को भर्ती कराया गया था। इसमें कहा गया कि हालांकि, भ्रूण की हरकत और धड़कन नहीं होने का हवाला देते हुए उसे अलाप्पुझा के वंदनम में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) भेज दिया गया। एफआईआर में कहा गया कि एमसीएच में आठ नवंबर को सर्जरी के बाद बच्चे का जन्म हुआ और उसमें गंभीर आंतरिक और बाहरी विकृतियां पाई गईं।
आरोपी डॉक्टर ने क्या कहा?
इस बीच, आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए आरोपी डॉक्टरों में से एक ने कहा कि उसने सुरुमी का इलाज केवल गर्भावस्था के शुरुआती माह के दौरान किया था। डॉक्टर ने कहा, ‘‘मैंने गर्भावस्था के शुरुआती तीन माह तक उसकी देखभाल की। मुझे दिखाई गई रिपोर्ट में भ्रूण के विकास में समस्याएं बताई गई थीं।’’ हालांकि, जांच प्रयोगशाला से जुड़े डॉक्टरों ने कहा कि रिपोर्ट में कोई गलती नहीं है। इस मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केरल सरकार चिकित्सा अधिकारी संघ (केजीएमओए) के एक पदाधिकारी ने कहा कि जांच की जा रही है और घटना के सही तथ्य सामने आने चाहिए।
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