पटना: लोन पर ली गई गाड़ी की समय पर किश्त न चुका पाने वाले लोगों को कई बार बैंक और प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों की मनमानी का शिकार होना पड़ता है। कई बार स्थिति इतनी अपमानजनक हो जाती है कि रिकवरी टीम वाले आपकी गाड़ी को जबरदस्ती उठा ले जाते हैं। ऐसे लोगों को बड़ी राहत देते हुए पटना हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि रिकवरी टीमों द्वारा यूं जबरदस्ती किसी की गाड़ी उठा ले जाना कानून के खिलाफ है और यदि कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज होगा।
कोर्ट के सामने आए थे 30 मामले
फाइनेंस कंपनियों की रिकवरी टीम अगर लोन की किश्त चुका पाने में नाकाम किसी भी शख्स के साथ ऐसा करती हैं, तो इसे हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ माना जाएगा। पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की सिंगल बेंच ने इस बारे में धनंजय सेठ बनाम भारत सरकार और अन्य संलग्न याचिकाओं के खिलाफ उक्त आदेश जारी किया है। बेंच के पास 2020 में फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ एक-एक कर करीब 30 मामले सामने आए थे और उन पर 2 साल से भी ज्यादा समय तक सुनवाई चली।
दर्ज कराया जा सकेगा मुकदमा
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि बैंक या कोई भी फाइनेंस कंपनी रिकवरी टीम द्वारा जबरदस्ती किसी गाड़ी को नहीं उठवा सकती। कोर्ट ने कहा कि कंपनियों को SURFACIA ऐक्ट के तहत काम करना होगा। आदेश में कहा गया है कि अगर पहले भी किसी की गाड़ी उठाई गई है तो अदालत के आदेश की अवमानना के मामले में फाइनेंसर्स के खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। पटना हाई कोर्ट ने ऑर्डर की कॉपी को बिहार सरकार के साथ-साथ राज्य के पुलिस प्रमुख, सभी जिलों के एसपी एवं एसएसपी को भेजने का आदेश दिया है।
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