दक्षिण अफ्रीका अपने चीतों को भारत और मोजाम्बिक भेज रहा है। इन चित्तीदार बिल्लियों को भारत में 1952 में ही विलुप्त घोषित कर दिया गया था, तब से ही भारत प्रयास कर रहा था कि कैसे भी देश में चीतों को लाया जाए। साउथ अफ्रिका यह सब कुछ अपने चीतों को बचाने के लिए कर रहा है, क्योंकि उसके यहां अब जंगल कम होते जा रहे हैं और इन जानवरों को जो हवा की तरह दौड़ते हैं पिंजड़े में कैद करना ठीक नहीं है। साउथ अफ्रिका इन जानवरों को उन देशों में भेज रहा है जहां पर्याप्त जंगल है और वहां इनकी तादाद भी कम है। दक्षिण अफ्रीका के अभयारण्यों में पकड़े गए चार चीतों को विमान के जरिए इस हफ्ते मोजाम्बिक भी भेजा गया। इससे पहले उन्हें करीब एक महीने तक पिंजड़े में रखा गया था।
भारत आएंगे 12 चीते
संरक्षणवादी अक्टूबर में 12 और चीतों को भारत भेजने की तैयारी कर रहे हैं। चीता को दुनिया में सबसे अधिक फुर्तीला स्तनधारी जानवर माना जाता है। मोजाम्बिक जाने वाले चीतों को बेहोश करने और पिंजड़े में डालने के बाद वन्यजीव पशु चिकित्सक एंडी फ्रेजियर ने कहा कि दूसरे स्थानों पर जाना इन पशुओं के लिए मुश्किल है। उन्होंने चीतों को बेहोश करने पर कहा, ''पिंजड़े में रहना चीतों के लिए बहुत तनावपूर्ण प्रक्रिया है क्योंकि बेहोश होने के कारण वे कहीं नहीं जा पाते। हमें बहुत सावधानीपूर्वक इंजेक्शन लगाना होता है और यह सुनिश्चित करना होता है कि हम उन्हें सुरक्षित रूप से बेहोश करने के लिए इंजेक्शन की पर्याप्त खुराक दें।''
1952 में भारत में विलुप्त घोषित कर दिए गए थे
फ्रेजियर ने कहा कि टीम बड़े तथा और चुनौतीपूर्ण अभियान के तौर पर चीतों को भारत भेजने की तैयारी कर रही है क्योंकि चीतों को अधिक लंबी दूरी का सफर करना पड़ेगा। चीता की दो प्रजातियां हैं। किसी वक्त एशिया में पायी जाने वाली चीते की एक प्रजाति को 1952 में भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था और अब ये केवल ईरान में पाए जाते हैं। तब से ही इन चीतों को भारत में लाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। शुरुआत में ईरान से चीतों को भेजने की योजना थी, लेकिन अब दक्षिणी अफ्रीकी देशों से इन्हें भेजा जा रहा है। इस प्रयास में नामीबिया आठ चीतों को भेज रहा है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका अक्टूबर में 12 चीतों को भारत भेजेगा।
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