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Hindi News भारत राष्ट्रीय राजपथ पर नहीं, यहां हुआ था पहला गणतंत्र दिवस समारोह; महाराजा ने किया था गिफ्ट

राजपथ पर नहीं, यहां हुआ था पहला गणतंत्र दिवस समारोह; महाराजा ने किया था गिफ्ट

गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार भारत की सैन्य और सांस्कृतिक ताकत की झलकियां समारोह के मुख्य अतिथि और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों समेत पूरी दुनिया ने देखी।

Republic Day Celebrations, Republic Day, Republic Day 2024- India TV Hindi Image Source : FILE बग्घी में बैठकर समारोह स्थल के लिए जाते भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद।

नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को अपने 75वें गणतंत्र दिवस की शुरुआत अपनी महिला शक्ति और सैन्य शक्ति के भव्य प्रदर्शन के साथ की, जिसमें विशिष्ट मार्चिंग टुकड़ियां, मिसाइलें, युद्धक विमान, निगरानी उपकरण और घातक हथियार प्रणालियां शामिल थीं। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत के गणराज्य बनने के बाद पहला समारोह राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर आयोजित नहीं किया गया था? जी हां, पहला गणतंत्र दिवस समारोह 1930 के दशक के एक एम्फीथिएटर में हुआ था जिसे बाद में स्टेडियम बना दिया गया। 

भावनगर के महाराजा ने गिफ्ट की थी प्रॉपर्टी

जब 26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य बना तो उस रात राजधानी की सार्वजनिक इमारतें, पार्क और रेलवे स्टेशन रोशनी से चकाचौंध थे। इसी ऐतिहासिक दिन भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में राजेंद्र प्रसाद ने शपथ ली और पहला गणतंत्र दिवस समारोह दिल्ली के इरविन स्टेडियम में आयोजित किया गया था। गूगल आर्ट्स एंड कल्चर वेबसाइट के मुताबिक, भावनगर के महाराजा की ओर से दिल्ली को दिए गए एक गिफ्ट के रूप में 1933 में स्टेडियम का निर्माण किया गया था। इसका नाम भारत के पूर्व वायसराय लॉर्ड इरविन के नाम पर रखा गया जिन्होंने अपने कार्यकाल में फरवरी 1930 में नई दिल्ली को ब्रिटिश शासन की नई राजधानी बनाया था।

बाद में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम हुआ नाम

मध्य दिल्ली में कनॉट प्लेस के शिल्पकार रॉबर्ट टोर रसेल ने इस एम्फीथिएटर का डिजाइन तैयार किया था जिसे 1951 में एशियाई खेलों के आयोजन से ऐन पहले नेशनल स्टेडियम नाम दिया गया। साल 2002 में इसका नाम हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद के नाम पर रख दिया गया। आज की बात करें तो हर साल की तरह इस बार की परेड में भी भारत की सैन्य और सांस्कृतिक ताकत की झलकियां समारोह के मुख्य अतिथि और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों समेत पूरी दुनिया ने देखी। पहली बार, सेना की तीनों सेवाओं की संपूर्ण महिला टुकड़ी ने कर्तव्य पथ पर मार्च किया, जो देश की बढ़ती ‘नारी शक्ति’ को दर्शाता है। (PTI)

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