तमिलनाडु: दिल्ली को छोड़कर देशभर में दीपावली के मौके पर खुदरा पटाखों की करीब छह हज़ार करोड़ रुपए की बिक्री हुई, जिसके बाद पटाखा उद्योग ने राहत की सांस ली है। इस साल इस कारोबार से जुड़े लोग काफी खुश हैं, क्योंकि बीते दो सालों में कोरोना महामारी के कारण लोगों को काफी नुकसान हुआ है। तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड अमोर्सेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (टीएएनएफएएमए) के अध्यक्ष, गणेशन पंजुराजन के मुताबिक कि कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद, कच्चे माल की कीमत 50 प्रतिशत तक बढ़ गई और आज तक इसमें गिरावट नहीं आई है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘स्वाभाविक रूप से, इसके परिणामस्वरूप उत्पाद की कीमतों में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्तमान छह हज़ार करोड़ रुपये का खुदरा कारोबार केवल एक मूल आंकड़ा है, यह मूल्य वृद्धि जैसे पहलुओं को दर्शाता है।’’
'किसी कारोबारी के पास बिक्री का माल नहीं बचा है'
उन्होंने बताया कि 2016 से 2019 तक दिवाली के दौरान कारोबार ठीक-ठाक रहा। हर साल लगभग चार से पांच हज़ार करोड़ रुपये की ब्रिक्री होती थी। बिना बिके माल के बारे में पूछे जाने पर, सोनी फायरवर्क्स के निदेशक गणेशन ने कहा, ‘‘हम लोगों में से किसी कारोबारी के पास बिक्री का माल नहीं बचा है।’’ उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा माल महाराष्ट्र में बिका, इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात रहा। गणेशन कहा, ‘‘निश्चित रूप से, मुंबई और शेष महाराष्ट्र में कुल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा खरीदा गया।’’
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का रखा गया ध्यान
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, कोविड-19 के दो वर्षों के अंतराल के बाद देश भर में लोग पटाखों पर पैसे खर्च करने के लिए आगे आए। गणेशन ने कहा, ‘‘सभी प्रकार के पटाखों का निर्माण किया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट और सरकारी अधिकारियों के दिशानिर्देशों के अनुसार हरित-पटाखों की श्रेणी में आते थे।’’ बता दें, तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में शिवकाशी क्षेत्र पटाखा उद्योग का राष्ट्रीय केंद्र है।
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