भगवंत मान सरकार के लिए बड़ी मुसीबत! किसानों ने कई टोल प्लाजा पर विरोध-प्रदर्शन शुरू किया
किसान नेताओं का कहना है कि वे प्रदर्शन के दौरान टोल प्लाजा से गुजरने वाले किसी भी गाड़ी से शुल्क नहीं वसूलने देंगे।
अमृतसर: पंजाब की भगवंत मान सरकार के लिए किसानों के संगठन की मांगों को कथित तौर पर नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। दरअसल, किसानों के संगठन ने अपनी मांगों को नजरअंदाज करने के आरोप में राज्य सरकार के खिलाफ कई टोल प्लाजा पर गुरुवार से अपना प्रदर्शन तेज कर दिया। किसान मजदूर संघर्ष समिति (KMSC) ने गुरुवार से एक महीने के लिए राज्य में 18 टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है, ताकि कृषि कर्ज माफी, MSP और फसलों को नुकसान के लिए मुआवजे सहित उनकी विभिन्न मांगों को मानने के लिए राज्य सरकार पर दबाव डाला जा सके।
‘किसी भी गाड़ी से पैसे नहीं वसूलने देंगे’
किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि उनके प्रदर्शन के दौरान, किसान टोल प्लाजा से गुजरने वाले किसी भी गाड़ी से शुल्क नहीं वसूलने देंगे। उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा 15 जनवरी तक राज्य के सभी यात्रियों के लिए मुफ्त है। उन्होंने किसानों के मुद्दों के प्रति राज्य की भगवंत मान सरकार पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया। पंढेर ने कहा कि वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि टोल प्लाजा के कर्मचारियों को इस महीने की सैलरी मिले। उन्होंने कहा कि वे टोल प्लाजा ऑपरेटर्स को शुल्क नहीं बढ़ाने देंगे।
‘हमारी मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया’
पंढेर ने कहा कि KMSC के प्रति निष्ठा रखने वाले किसानों ने पहले 9 जिलों में उपायुक्त कार्यालयों पर प्रदर्शन किया था, लेकिन उनकी मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया। किसान संगठन ने आने वाले दिनों में राज्य सरकार की ओर से उनकी मांगों को नहीं मानने पर और अधिक टोल प्लाजा को मुफ्त करने की धमकी दी है। 7 दिसंबर को, पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने KMSC के प्रतिनिधियों से अपना प्रदर्शन वापस लेने का आग्रह किया था और उन्हें आश्वासन दिया कि राज्य सरकार किसानों के मुद्दों को हल करने का प्रयास कर रही है।
दिल्ली बॉर्डर पर चला था किसानों का लंबा धरना
बता दें कि 2020 के मध्य में किसानों ने दिल्ली और देश के कई अन्य भागों में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ लंबा प्रदर्शन किया था। किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक धरना दिया था और केंद्र सरकार द्वारा कानून वापस लेने के बाद ही वहां से हटे थे। अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक चले उनके इस आंदोलन ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी थीं। अब पंजाब में शुरू हुआ किसानों का आंदोलन भी भगवंत मान सरकार के लिए एक टेढ़ी खीर साबित होने की राह पर चलात दिखाई दे रहा है।