नई दिल्ली: किसान आंदोलन खत्म होने की राह में एक बार फिर पेंच फंस गया है। मंगलवार को सिंघू बॉर्डर पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आंदोलन के दौरान मुकदमा वापसी पर पेंच फंस गया है और आज फैसला नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा देने के लिए तैयार है लेकिन यह भी ‘पंजाब मॉडल’ की तर्ज पर होना चाहिए। अब संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक बुधवार को होनी है।
‘कल आगे का कदम तय होगा’
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा, 'संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर कई घंटों तक चर्चा हुई। कुछ ऐसे सवाल थे जिन पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। उन सवालों को नोट किया गया और अब जवाब के लिए उन्हें वापस सरकार को भेजा जाएगा। उम्मीद है कि कल तक सरकार का जवाब मिल जाएगा। सरकार की तरफ से जो जवाब आएगा, उसके आधार पर कल चर्चा की जाएगी और आगे का कदम तय होगा।'
‘मुकदमा वापसी पर पेंच फंस गया है’
वहीं, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार की तरफ से MSP पर प्रस्ताव आया है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सरकारी अफसर और किसान नेता कमेटी का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा, 'मुकदमा वापसी पर पेंच फंस गया है और आज फैसला नहीं हो पाया है। सरकार ने शर्त रखी है कि पहले आंदोलन वापस हो, फिर केस वापस होगा। वहीं, किसान चाहते हैं कि पहले मुकदमे वापस हों फिर आंदोलन वापस होगा।'
‘केस तुरंत वापस होंगे तो आंदोलन वापस होगा’
किसान नेता अशोक धावले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केस तुरंत वापस होंगे तो आंदोलन वापस होगा। धावले ने कहा कि सरकार आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा देने को भी तैयार है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार पंजाब सरकार की तर्ज पर आंदोलन में मारे गए प्रत्येक किसान के परिजनों को 5 लाख रुपये और एक सरकारी नौकरी देती है, तो ही उन किसानों के परिवारों के प्रति इसे कुछ हद तक न्याय माना जाएगा।
चढ़ूनी ने कहा, 'सरकार के प्रस्ताव की 3 शर्तें मंजूर नहीं'
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि केंद्र सरकार आंदोलन में मारे गए किसानों एवं अन्य लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे का ऐलान करे। उन्होंने कहा, 'सरकार के प्रस्ताव की 3 शर्तें मंजूर नहीं हैं। साथ ही MSP की कमेटी में सिर्फ किसान मोर्चा के ही नेता हों। '
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