साल 2022 में जब दुनिया कोरोना काल से उबरने की कोशिश कर रही थी। तब एक के बाद एक दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों से फेक जॉब स्कैम में नागरिकों के फंसे होने की खबरे सामने आने लगी थीं। अकेले थाईलैंड से ही भारत सरकार ऐसे स्कैम में फंसे 320 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रेस्क्यू कर भारत भेज चुकी है।
म्यांमार से ऑपरेट होता है फेक जॉब का रैकेट
दरअसल, यह फेक जॉब रैकेट म्यांमार से ऑपरेट होता है। यह लोग एशिया के अलग-अलग देशों में लोगों को अच्छी नौकरी का प्रलोभन देकर वहां बुलाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में थाईलैंड और लाओस पीडीआर जैसे देश ट्रांसिट पॉइंट्स के तरह इस्तेमाल किए जाते हैं। इन देशों में पहुंचने के बाद लोगों से पासपोर्ट छीन लिए जाते है और इन्हें इन्हें प्रताड़ित किया जाता है। किसी भी काम का टारगेट पूरा न किया जाने पर इनके साथ मार पीट भी की जाती है।
सैन्य तख्ता पलट बाद के बाद से शुरू हुआ ये खेल
थाईलैंड में भारत के राजदूत नागेश सिंह ने बताया कि म्यांमार में हुए सैन्य तख्ता पलट के बाद यह सभी स्कैम इसी धरती से ऑपरेट हो रहे हैं। सैन्य तख्ता पलट के बाद वहां सरकार के न होने की वजह से कई विद्रोही ग्रुप अलग-अलग इलाकों में चल रहे हैं। वहां ऐसे जॉब स्कैम में फंसे लोगों को बाहर निकालना भारत सरकार के लिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।
अब तक 448 भारतीय नागरिकों को किया गया रेस्क्यू
इसके साथ ही भारतीय राजदूत नागेश ने ये भी बताया कि साउथ ईस्ट एशिया के एक और देश लाओस पीडीआर से भी भारत सरकार ने अब तक 488 नागरिकों को रेस्क्यू कर वापस स्वदेश भेजा है। इस फेक जॉब स्कैम में सिर्फ भारतीय ही नहीं साउथ ईस्ट एशिया के कई और देशों के नागरिक भी फंस जाते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया के तमाम देश इसे एक ट्रांस नेशनल क्राइम के रूप में देखते हैं।
जारी की जा चुकी है एडवाइजरी
उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास समय-समय पर अपने नागरिकों के लिए इन झांसों में न फंसने की एडवाइजरी भी जारी करती है। जो नागरिक इसके बावजूद दूसरे देशों में फंस जाते हैं तो उन्हें वहां से निकाला जाता है। म्यांमार में मौजूदा हालात के बीच इन फेक जॉब स्कैम करने वाले गैंग से निपटना सभी दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के लिए एक चुनौती बन गया है।
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