सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्ति के लिए अपनायी गई प्रक्रिया पर गुरुवार को गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि उनकी फाइल को ‘‘जल्दबाजी’’ में मंजूरी दी गयी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल को ‘‘बहुत तेजी से’’ पारित कर दिया गया। वहीं, इस मामले में केंद्र ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी के जरिए अदालत से ‘‘थोड़ा रुकने’’ के लिए कहा और मामले पर विस्तारपूर्वक गौर करने का अनुरोध किया। जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘यह किस तरह का मूल्यांकन है? हम अरुण गोयल की योग्यता पर नहीं बल्कि प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं।’’
सुप्रीम कोर्ट को प्रक्रिया पर संदेह
टॉप लॉ अधिकारी ने पीठ से कहा, ‘‘कृपया थोड़ा रुकिये। मैं आपसे विस्तारपूर्वक मामले पर गौर करने की अपील करता हूं।’’ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को दिए निर्देश के अनुसार पीठ के समक्ष चुनाव आयुक्त के तौर पर गोयल की नियुक्ति की मूल फाइल पेश की जिस पर न्यायालय ने गौर किया। पीठ ने कहा कि 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गोयल ने एक ही दिन में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली, एक ही दिन में कानून मंत्रालय ने उनकी फाइल पारित कर दी, चार नामों की सूची प्रधानमंत्री के समक्ष पेश की गयी और गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गयी। पीठ चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
संजय राउत ने भी उठाए सवाल
वहीं इसको लेकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। संजय राउत ने कहा कि चुनाव आयोग के हाथ में देश का लोकतंत्र है और ऐसी संस्था किसी की गुलाम बनकर काम करे और उनके (सरकार) मनमर्जी की नियुक्ति हो तो इस देश में लोकतंत्र नहीं होगा। ऐसा क्यों है कि कोई भी चुनाव आयुक्त अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पा रहा है?
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