महाराष्ट्र में मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप पर चुनाव आयोग का आया जवाब, 50,000 वोटर्स को जोड़ने का था दावा
चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दावे पर जवाब देते हुए कहा कि मतदाताओं के नाम न तो मनमाने ढंग से जोड़े गए हैं और न ही हटाए गए हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के नाम जोड़ने या हटाने को लेकर कांग्रेस की ओर से उठाए गए सवालों का चुनाव आयोग ने मंगलवार को जवाब दिया। चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम न तो मनमाने ढंग से जोड़े गए हैं और न ही हटाए गए हैं। आयोग ने कांग्रेस के इन आरोपों को निराधार बताया और कहा कि इस विषय में पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और नियमों के अनुसार की गई है।
कांग्रेस को दिए अपने जवाब में आयोग ने यह भी कहा कि हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में शाम 5:00 बजे के मतदान के आंकड़ों की तुलना अंतिम मतदान आंकड़ों के साथ करना सही नहीं होगा। कांग्रेस ने नवंबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से संबंधित विभिन्न चिंताओं को लेकर चुनाव आयोग का रुख किया था। एक विस्तृत नोट जारी करते हुए आयोग ने कांग्रेस को बताया कि शाम 5:00 बजे से रात 11:45 बजे तक मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी सामान्य थी, जो मतदान के मतों को जोड़ने की प्रक्रिया का हिस्सा था और मतों एवं गिने गए मतों में वास्तविक, लेकिन असंगत अंतर हो सकता है।
मतदान प्रतिशत में बदलाव?
आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि वास्तविक मतदान प्रतिशत को बदलना असंभव है, क्योंकि मतदाता मतदान का विवरण देने वाला वैधानिक फॉर्म 17सी मतदान केंद्र पर मतदान बंद होने के समय उम्मीदवारों के अधिकृत एजेंट के पास उपलब्ध होता है। इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र में मतदाता सूची तैयार करने में पारदर्शिता के साथ नियम-आधारित प्रक्रिया का पालन किया गया और राज्य में मतदाता के नाम हटाए जाने में कोई अनियमित चलन नहीं था। इसने कांग्रेस को बताया कि मतदाता सूची तैयार करने में कांग्रेस प्रतिनिधियों की भागीदारी सहित उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था।
कांग्रेस का क्या था दावा?
आयोग ने मुख्य विपक्षी दल से कहा कि जुलाई और नवंबर के बीच 50 विधानसभा सीट पर औसतन 50,000 मतदाताओं के जुड़ने का उसका दावा तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है। कांग्रेस का दावा था कि इन 50 सीट में से 47 पर ‘महायुति’ ने जीत हासिल की है। आयोग के अनुसार, तथ्य यह है कि इस अवधि के दौरान केवल 6 विधानसभा क्षेत्रों में कुल मिलाकर 50,000 से अधिक मतदाता जुड़े थे, इसलिए इस आधार पर 47 सीट पर जीत का सवाल ही नहीं उठता।
आयोग ने पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों की सक्रिय भागीदारी के लगभग 60 उदाहरणों को भी सूचीबद्ध किया। आयोग ने इस बात को दोहराया कि राजनीतिक दल, प्रमुख हितधारक होने के नाते, चुनाव प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में 'रोल टू पोल' (मतदाता सूची तैयार करने से लेकर मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक) में शामिल होते हैं। (भाषा)
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