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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'रील जैसी वीडियो बनाकर पैसे कमाना इस्लाम में हराम', तीन दिनों तक चली मुफ्तियों की बैठक में हुआ फैसला

'रील जैसी वीडियो बनाकर पैसे कमाना इस्लाम में हराम', तीन दिनों तक चली मुफ्तियों की बैठक में हुआ फैसला

पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर में पिछले तीन दिनों से एक बैठक चल रही थी। इसमें देशभर से सैकड़ों मुफ़्ती और मौलाना हिस्सा ले रहे थे। इस बैठक में दो प्रस्ताव पास किए गए हैं। यह बैठक शरीयत के हिसाब से जायज और नाजायज कामों की समीक्षा करने लिए हुई थी।

WEST BENGAL- India TV Hindi Image Source : INDIA TV बंगाल के दिनाजपुर में तीन दिनों तक चली मुफ्तियों की बैठक

दिनाजपुर: सोशल मीडिया आजकल हम सबकी जिन्दगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। हम अपनी खुशियां और गम यहां साझा करते हैं। कई बार अपनी तस्वीरें और वीडियो भी साझा करते हैं। आप शायद इसे केवल एक याद के रूप में साझा करते हों, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह धन कमाने का जरिया बन चुका है। लोग वीडियो बनाकर शेयर करते हैं और इससे उन्हें पैसे मिलते हैं। इसे लेकर मुस्लिमों के धर्मगुरुओं ने फ़तवा जारी किया है।

पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर में तीन दिनों से चल रही जमीयत उलेमा ए हिंद की शरीयत के मामलों को लेकर एक बैठक चल रही थी। इस बैठक में कहा गया है कि नाच गाना करके या अपनी तस्वीरें  सोशल मीडिया पर डालकर कमाया गया पैसा इस्लाम में नाजायज और हराम है। इस प्रस्ताव पर  दारुल उलूम देवबंद के मुफ़्ती समेत लगभग 200 मुफ्तियों ने सहमति दर्ज करते हुए इसे पास कर दिया।

सम्मेलन में पास हुए दो प्रस्ताव 

बताया जा रहा है कि बंगाल में इस सम्मेलन का मकसद वर्तमान समय में शरीयत के लिहाज़ से जायज और नाजायज कामों देखना था। इस सम्मेलन में दो प्रस्ताव पास किए गए, जिसमें पहला प्रस्ताव नाजायज और हराम धन कमाने और खर्च करने को लेकर था। इसमें सभी मुफ्तियों ने कहा कि ब्याज, रिश्वत, चोरी, जुआ और सट्टा समेत ऐसे काम जिनमें दूसरे को तकलीफ पहुंचाकर धन कमाया गया हो, वह नाजायज़ और हराम है। इस दौरान वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर नाच गाना करके या अपनी तस्वीर डालकर कमाए गए धन को भी नाजायज करार दिया गया।

बकरीद को लेकर भी पारित हुआ एक प्रस्ताव 

दूसरा प्रस्ताव बकरीद में सामूहिक तौर पर होने वाली जानवरों की कुर्बानी को लेकर था। इसमें कहा गया कि मुसलमान को चाहिए कि बकरा ईद के मौके पर ऐसी संस्थाओं में अपने पैसे कुर्बानी के लिए ना दें जो सामूहिक तौर पर कुर्बानी करवाते हैं। बल्कि अपनी कुर्बानी को खुद करने की कोशिश करें। यह ज्यादा बेहतर है। प्रस्ताव में कहा गया कि सामूहिक तौर पर जो संस्था कुर्बानी करने की जिम्मेदारी लेती है उनमें कई बार सही जिम्मेदारी न निभाने की शिकायत मिलती है। इसलिए अपनी कुर्बानी खुद ही करें।

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