Draupadi Murmu Love Story: द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। ओडिशा के रायरंगपुर से मर्मू ने भारतीय जनता पार्टी के साथ राजनीति की सीढ़ी पर पहला पहला कदम रखा था। विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। द्रौपदी मुर्मू जतनी ही चमक दमक से दूर रही हैं, उतनी ही रोचक उनकी प्रेम कहानी है।
कॉलेज से शुरू हुई थी प्रेम कहानी
द्रौपदी मुर्मू की ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव से ही पूरी की। इसके बाद साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय स्कूल में पढ़ीं। फिर स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में एडमिशन लिया। बता दें कि मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए भुवनेश्वर तक पहुंची। कॉलेज में ही पढ़ाई के दौरान वह श्याम चरण मुर्मू से मिलीं। दोनों की मुलाकातें बढ़ी और फिर दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे।
द्रौपदी के गांव श्याम ने डाला था डेरा
जब द्रौपदी और श्याम एक दूसरे को पसंद करने लगे थे तो बारी थी इस रिश्ते को नया नाम देने की। साल 1980 में परिवार की रजामंदी के लिए श्याम चरण शादी का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी के घर पहुंचे थे। श्याम चरण के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी के गांव में ही रहते थे। ऐसे में अपनी बात रखने के लिए श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को लेकर द्रौपदी के घर हाथ मांगने पहुंच गए थे। लेकिन द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू ने इस रिश्ते के लिए साफ इंकार कर दिया था। लेकिन श्याम चरण ने हार नहीं मानी। वह अपने सच्चे प्यार को शादी में बदलने का इरादा कर चुके थे। वहां द्रौपदी ने भी घर वालों को कह दिया था कि वह श्याम चरण से ही शादी करेंगी। फिर श्याम चरण ने तीन दिन तक द्रौपदी के गांव में ही डेरा डाल लिया था। आखिरकार द्रौपदी के पिता को इस रिश्ते के लिए हां कहनी ही पड़ी।
द्रौपदी को दहेज में मिले थे गाय और बैल
शादी के लिए द्रौपदी के पिता ने थक-हारकर हां कह दी थी। अब श्याम चरण और द्रौपदी के घरवालों ने दहेज को लेकर चर्चा शुरू की। जब दोनों की शादी हुई तो श्याम चरण के घर से द्रौपदी को एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए गए थे। दरअसल द्रौपदी जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उसमें लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है। बताया जाता है कि द्रौपदी और श्याम की शादी में लाल-पीले देसी मुर्गे का भोज हुआ था। तब लगभग हर जगह शादी में यही बना करता था।
द्रौपदी मुर्मू का छूटता गया अपनों से साथ
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में हुआ था। मुर्मू संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। श्याम मुर्मू से शादी के बाद दोनों के चार बच्चे हुए। इनमें दो बेटे और दो बेटियां थीं। साल 1984 में मुर्मू की एक बेटी की मौत हो गई। इसके बाद साल 2009 में एक और 2013 में दूसरे बेटे की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। कुछ साल बाद 2014 में मुर्मू के पति श्याम चरण मुर्मू की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। द्रौपदी मुर्मू के परिवार में अब सिर्फ एक बेटी है।
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