जिस चांद को आप रोज आसमान में चमकता देखते हैं और उसकी खूबसूरती को निहारते हैं क्या आपको पता है कि वह चांद हर साल पृथ्वी से 3.8 सेमी दूर होता जा रहा है। दरअसल, 1969 में नासा के अपोलो 11 अभियान में चंद्रमा पर जो रिफ्लेक्टर्स लगाए गए थे, उनसे इसका पता चला है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि ये दूरी शुरू से ही बढ़ती जा रही है क्योंकि अगर ऐसा होता तो आज से करीब 15 लाख साल पहले चंद्रमा पृथ्वी से टकरा जाता और दोनों समाप्त हो जाते।
शोध में क्या पता चला
यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय और जिनेवा विश्वविद्यालय के रिसर्चरों ने हमारे सौर मंडल के इतिहास के बारे में जानकारी हासिल करन के लिए कई तरह के तकनीकों का प्रयोग किया है। इसी रिसर्च से पता चला कि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी बढ़ने का रहस्य कहीं और नहीं बल्कि पृथ्वी की प्राचीन चट्टानों की परतों में छिपा है।
पुरानी चट्टाने इस रहस्य से पर्दा उठाती हैं
वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी से चंद्रमा के दूर जाने का कारण पृथ्वी पर मौजूद प्राचीन चट्टानों से पता चलता है। दरअसल, दुनिया में कई जगह नदियों ने जब धीरे-धीरे चट्टानों को काटकर उनकी पुरानी परतों को सबसे सामने लाया तो अरबों साल पुरानी इन चट्टानों की परतें साफ दिखाई देने लगीं। ऑस्ट्रेलिया के कारिजिनी नेशनल पार्क के गुफाओं में ऐसी ही शानदार अवसादी परतें देखने को मिलती हैं जो लगभग 2.5 अरब साल पुरानी हैं। इन परतों का बारीकी से अध्ययन करने पर पता चलता है कि कैसे ये अपने निर्माण के समय के जलवायु में आए बदलावों को बताती हैं। ऑस्ट्रेलिया के भूगर्भशास्त्री ट्रेडाल का कहना है कि इन परतों में छिपी जलवायु विविधताओं के रूप वास्तव में एक मिलनकोविच चक्र से निर्धारित होते हैं।
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