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क्या आप भी नाइट शिफ्ट में काम करते हैं? नए रिसर्च में पता चली यह परेशान करने वाली बात

एक रिसर्च में पता चला है कि जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं उनकी खान-पान की आदतें बिगड़ जाती हैं, जिसके चलते उन्हें कभी-कभी बढ़ते वजन का सामना करना पड़ता है।

Night Shift, Night Shift Research, Night Shift Appetite Control- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लाखों लोगों को इस रिसर्च से मदद मिल सकती है।

नई दिल्ली: अगर आप भी नाइट शिफ्ट में काम करते हैं तो एक नई रिसर्च आपकी दिन की नींद को भी उड़ा सकती है। रिसर्चर्स ने एक स्टडी में कहा है कि कैसे रात की पाली में काम करने से भूख, खान-पान की आदतें बिगड़ती हैं, जिसके चलते कभी-कभी वजन बढ़ जाता है। ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में रिसर्च करने वाली टीम ने पाया कि रात की शिफ्ट में काम करने से शरीर की ‘बॉयलॉजिकल क्लॉक’ में व्यवधान पड़ता है। रिसर्च में पता चला कि इससे भूख को नियंत्रित करने वाला हार्मोन भी प्रभावित होता है।

रिसर्च में पता चलीं कई बड़ी बातें
रिसर्च टीम ने यकृत के पास स्थित अधिवृक्क ग्रंथि पर ध्यान केंद्रित किया, जो हार्मोन का उत्पादन करती है जो चयापचय एवं भूख सहित कई शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करती है, जिन्हें ‘ग्लुकोकोर्टिकोइड हार्मोन’ कहा जाता है। ‘कम्युनिकेशंस बायोलॉजी’ रिसर्च जर्नल में प्रकाशित स्टडी में रिसर्चर्स ने कहा कि प्रकाश और अंधेरे के बीच तालमेल नहीं बन पाने से इन हार्मोन के कामकाज में गड़बड़ी होने से भूख प्रभावित होती है। इस वजह से दिन में निष्क्रिय रहने के दौरान काफी अधिक खाने की इच्छा बढ़ जाती है।

‘लाखों लोगों की हो सकती है मदद’
रिसर्चर्स ने कहा कि उनके निष्कर्षों से पता चलता है कि कैसे शरीर की आंतरिक घड़ी में व्यवधान चयापचय स्वास्थ्य नुकसान के संदर्भ में भोजन की आदतों को गहराई से बदल सकता है। उन्होंने कहा कि इस स्टडी से उन लाखों लोगों की मदद हो सकती है जो रात भर काम करते हैं और वजन बढ़ने की समस्या से प्रभावित हैं। अधिवृक्क ग्रंथियों में ग्लुकोकोर्टिकोइड हार्मोन सीधे मस्तिष्क पेप्टाइड्स के एक ग्रुप को नियंत्रित करते हैं जो कुछ बढ़ती भूख (ऑरेक्सजेनिक) और कुछ कम भूख (एनोरेक्सजेनिक) के साथ भूख व्यवहार को नियंत्रित करते हैं।

‘ऐसे लोग व्यायाम जरूर करें’
टीम ने स्टडी में पाया कि जहां नियंत्रण वाले चूहों ने अपने सक्रिय चरण के दौरान दैनिक सेवन का लगभग 90 प्रतिशत और निष्क्रिय चरण के दौरान केवल 11 प्रतिशत खाया, वहीं थके हुए चूहों ने अपने निष्क्रिय चरण के दौरान अपने दैनिक कैलोरी का लगभग 54 प्रतिशत खाया। ब्रिस्टल में रिसर्च फेलो एवं रिसर्च की वरिष्ठ लेखिका बेकी कॉनवे-कैंपबेल ने कहा, ‘जो लोग लंबे समय से रात की शिफ्ट में काम कर रहे हैं, हम उनसे कहेंगे कि वे दिन के उजाले का आनंद लें, हृदय संबंधी व्यायाम करें और भोजन के समय को नियमित समय पर बनाए रखने की कोशिश करें।’ (भाषा)

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