चेन्नई: तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) ने केन्द्र को रविवार को हिंदी भाषा ‘‘थोपने’’ को लेकर आगाह किया और कहा कि राज्य के लोग पार्टी के पूर्व नेता दिवंगत एम करुणानिधि द्वारा किए गए हिंदी विरोधी आंदोलन को नहीं भूले हैं तथा वे ऐसा होने नहीं देंगे। सत्तारूढ़ दल के मुखपत्र ‘मुरासोली’ में आज के संस्करण में लोगों पर हिंदी ‘‘थोपने’’ के खिलाफ करुणानिधि का एक प्रसिद्ध नारा प्रकाशित किया गया और शीर्षक के रूप में लिखा ‘‘केंद्र सरकार को चेतावनी’’।
तमिल भाषा में लिखे नारे में लोगों का आह्वान किया गया है कि वे हिंदी ‘‘थोपे जाने’’ का कड़ाई से विरोध करें। इसमें कहा गया है कि राज्य में कोई ‘‘डरपोक’’ नहीं है और उन पर हिंदी ‘‘थोपी’’ नहीं जा सकती। मुखपत्र के अनुसार, करुणानिधि जब 14 साल के थे और पढ़ाई कर रहे थे तब उन्होंने अपने पैतृक गांव तिरुवरूर में 1938 में साथी छात्रों के साथ मार्च निकाला था और हिंदी के विरुद्ध इस नारे का इस्तेमाल किया था।
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सात अप्रैल को कहा था कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के नहीं, बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। इस पर द्रमुक अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह देश की अखंडता पर प्रहार करेगा।
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