नवरंगपुर: ओडिशा के नवरंगपुर के पापड़ाहांडी से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां धर्म परिवर्तन की वजह से एक व्यक्ति के शव को लगभग 32 घंटे तक दफनाने की जगह नहीं दी गई। गांव वालों ने अपने श्मशान में मृत शरीर को दफनाने की अनुमति नहीं दी क्योंकि वहां केवल हिंदुओं का अंतिम संस्कार होता है। जब अतिरिक्त तहसीलदार और पुलिस ने इस मामले में हस्तक्षेप किया, तब जाकर शव को दफनाया जा सका।
क्या है पूरा मामला?
सूचना के मुताबिक, करीब 2 साल पहले पंडीकोट गांव के डोमू जानी ने हिंदू धर्म त्याग दिया था और ईसाई धर्म अपना लिया था। डोमू जानी का कल सुबह निधन हो गया। धर्म परिवर्तन के कारण परिवार के लोग चिंतित थे कि मृत शरीर को कहां दफनाया जाए।
जब परिजनों ने ग्रामीणों से गांव के श्मशान में जगह देने का अनुरोध किया उन्होंने कब्र के लिए जगह देने की इजाजत नहीं दी। यहां तक कि मृत शरीर को कंधा देने के लिए कोई सामने तक नहीं आया।
अतिरिक्त तहसीलदार और पुलिसकर्मी भी मौके पर पहुंच कर ग्रामीणों को समझाने की कोशिश करते रहे पर ग्रामीण राजी नहीं हुए। लंबे समय तक बहस चलने के बाद ग्रामीण राजी हुए। जिसके बाद अतिरिक्त तहसीलदार ने एक स्थान निश्चित किया।
कंधा देने के लिए जब कोई सामने नहीं आ रहा था तब कुछ स्थानीय पत्रकारों ने कदम आगे बढ़ाया और शव को कंधा दिया। पत्रकारों को देख बाकी ग्रामीण भी आगे आए और शव को मौत के 32 घंटे बाद, आखिरकार दफनाया गया।
अतिरिक्त तहसीलदार ने मामले पर बोलते हुए कहा, 'हमें खबर मिली थी कि एक मृत व्यक्ति के शव को ग्रामीण श्मशान में दफनाने से इंकार कर रहे हैं और जगह मुहैया नहीं करवाई जा रही है क्योंकि उसने कुछ दिनों पहले ईसाई धर्म अपना लिया था। मामले की खबर मिलते ही पंडीकोट गांव पहुंचे और हमने ग्रामीणों से बात की। ग्रामीण बहुत देर तक राजी नहीं हुए। आखिरकार हमने परिवार को सरकारी जगह मुहैया करवाई और शव को सरकारी जमीन पर दफनाया जा रहा है।' (ओडिशा से शुभम कुमार की रिपोर्ट)
अतिरिक्त तहसीलदार (पापड़ाहांडी) सस्मिता कुमारी जेना का सामने आया बयान
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