राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज से दिल्ली सर्विसेज कानून को लागू कर दिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा मंजूरी मिलते ही ये विधेयक अब कानून में बदल गया है। ये कानून अब केंद्र सरकार के उस अध्यादेश की जगह लेगा जिसके माध्यम से दिल्ली में अफसरों के तबादलों का अधिकार दिल्ली से छिनकर वापस उपराज्यपाल के पास चला गया था।
राज्यसभा से पास हुआ था बिल
दिल्ली सेवा कानून विधेयक लोकसभा में आसानी से पास हो गया था। वहीं, राज्यसभा में भी केंद्र सरकार ने 131/102 के मार्जिन से इस विधेयक को पास करवा लिया था। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने बिल को पास न होने देने के लिए सभी विपक्षी दलों से सहयोग की अपील की थी।
क्या है कानून में?
इसके अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 239 (क) (क) को प्रभावी बनाने की दृष्टि से अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग और अन्य मुद्दों से संबंधित विषयों पर एक स्थाई प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इसके गठन से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और केंद्र सरकार के हितों का संतुलन होगा। इस प्राधिकरण के अंदर सारे फैसले बहुमत से लिए जाएंगे। एलजी प्राधिकरण की सिफारिशों के आधार पर फैसले लेंगे।
नोटिफिकेशन में क्या लिखा?
सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन में बताया गया है कि इस अधिनियम को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 कहा जाएगा। वहीं, इस अधिनियम को 19 मई, 2023 से लागू माना जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 (जिसे इसके बाद मूल अधिनियम के रूप में संदर्भित किया गया है) की धारा 2 में खंड (ई) में कुछ प्रावधान शामिल किए गए हैं। अब उपराज्यपाल का अर्थ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत नियुक्त प्रशासक और राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल के रूप में नामित किया गया है।
अन्य विधेयक भी बने कानून
दिल्ली सेवा विधेयक के साथ ही राष्ट्रपति मुर्मू ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, जन्म एवं मृत्यू रेजिस्ट्रेशन (संशोधित) बिल और जन विश्वास (संशोधित प्रावधान) बिल को भी मंजूरी दे दी है।
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