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Delhi News: सर्विस टैक्स वसूलने पर लगे बैन गाइडलाइंस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Delhi News: कोर्ट ने कहा, ''मामले पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए 4 जुलाई के गाइडलाइन के पैरा 7 में निहित निर्देश मामले की सुनवाई की अगली तिथि तक स्थगित किए जाते हैं।''

High Court of Delhi- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO High Court of Delhi

Highlights

  • "यदि आप भुगतान नहीं करना चाहते हैं, तो रेस्तरां में प्रवेश न करें"
  • "सर्विस टैक्स और भुगतान की बाध्यता को मेन्यू में दिखाया जाए"
  • 25 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने उन हालिया गाइडलाइन पर बुधवार को रोक लगा दी, जिनमें होटलों और रेस्तरां के सर्विस टैक्स  वसूलने पर बैन लगाया गया था। जस्टिस यशवंत वर्मा ने सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) के 4 जुलाई के निर्देशों के खिलाफ दायर नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRNI) और इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले पर विचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने अथॉरिटी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

मामले पर कोर्ट ने की टिप्पणी

कोर्ट ने कहा, ''मामले पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए 4 जुलाई के गाइडलाइन के पैरा 7 में निहित निर्देश मामले की सुनवाई की अगली तिथि तक स्थगित किए जाते हैं।'' हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के सदस्यों को निर्देश दिया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कीमत और टैक्स के अतिरिक्त उपभोक्ताओं से सर्विस टैक्स वसूले जाने और इसके भुगतान की बाध्यता को मेन्यू या अन्य स्थानों पर विधिवत और प्रमुखता से दिखाया जाए। अदालत ने कहा कि इसके अलावा होटल और रेस्तरां पैक कराकर ले जाए जाने वाले सामान पर सर्विस टैक्स नहीं वसूलने के बारे में हलफनामा दाखिल करेंगे। 

गाइडलाइन पर लगाई अगली सुनवाई तक रोक

कोर्ट ने आगे कहा, ''यदि आप भुगतान नहीं करना चाहते हैं, तो रेस्तरां में प्रवेश न करें। यह अंतत: इच्छा पर निर्भर करता है। गाइडलाइन के पैरा 7 पर रोक लगाई जाती है, जिसमें इन दो शर्तों का उल्लेख किया गया है। '' अदालत ने मामले को 25 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। CCPA के वकील ने अदालत से कहा कि रेस्तरां और होटलों का सर्विस टैक्स वसूलना कंज्यूमर प्रोटेक्शन लॉ के तहत अनुचित बिजनेस डिलिंग है। NRNI ने अपनी याचिका में दावा किया था कि 5 जुलाई के आदेश के तहत लगाई गईं पाबंदियां ''मनमानी व गैरजरूरी हैं और इन्हें रद्द किया जाना चाहिए'' क्योंकि इन्हें तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर जारी नहीं किया गया है।

वकील नीना गुप्ता और अनन्या मारवाह के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है, ''हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में 80 वर्ष से अधिक समय से सर्विस टैक्स वसूले जाने की पुरानी परंपरा रही है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1964 में इस कॉन्सेप्ट पर गौर किया था।''

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