दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला द्वारा अलग रह रही पत्नी पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है। उमर अब्दुल्ला ने अपनी पत्नी पर जो आरोप लगाए थे उनमें क्रूरता और परित्याग का आरोप भी शामिल है। साथ ही अदालत ने अब्दुल्ला को विशेष विवाह अधिनियम के तहत तलाक की इजाजत देने से भी इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला की एक अपील खारिज कर दी, जिसमें कुटुंब अदालत के 2016 के फैसले को चुनौती दी गई थी। कुटुंब अदालत ने उन्हें तलाक की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनकी याचिका का कोई आधार नहीं है। अब्दुल्ला और उनकी पत्नी पायल के दो बेटे हैं।
'बच्चों को मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं'
जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विकास महाजन ने कुटुंब अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, 'अपीलकर्ता (अब्दुल्ला) का यह आरोप भी प्रमाणित नहीं पाया गया है कि प्रतिवादी (पायल) ने उनके राजनीतिक करियर में उनका समर्थन नहीं किया।' हाई कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया। 68 पृष्ठ का फैसला बुधवार को अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया। अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी अपने गुप्त उद्देश्यों के लिए बच्चों को मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं, इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि कुटुंब अदालत ने माना है कि यह आरोप साबित नहीं हुआ है। बेंच ने कहा, 'अपीलकर्ता को बच्चों से मिलने और समय बिताने दिया जा रहा है। अपीलकर्ता यह आरोप भी साबित नहीं कर पाया।'
'हमें अपील में कोई आधार नहीं दिखता'
बेंच ने कहा, 'हमें कुटुंब अदालत के इस दृष्टिकोण में कोई दोष नहीं दिखता कि क्रूरता के आरोप अस्पष्ट और अस्वीकार्य हैं। अपीलकर्ता किसी भी कृत्य को शारीरिक या मानसिक क्रूरता साबित करने में विफल रहा है। नतीजतन, हमें अपील में कोई आधार नहीं दिखता। लिहाजा, अपील खारिज की जाती है।' तलाक की मांग संबंधी याचिका में, अब्दुल्ला ने कुटुंब अदालत में दावा किया था कि उनकी शादी पूरी तरह से खत्म हो चुकी है और वे 2007 से वैवाहिक संबंध में नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि एक सितंबर 1994 को उनकी शादी हुई थी और 2009 से वे अलग रह रहे हैं। उनके दोनों बेटे भी पत्नी के साथ रह रहे हैं।
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