नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने उस बच्चे के परिजनों को 23 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश दिया है जिसकी एक गड्ढे में डूबने से मौत हो गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह गड्ढा उत्तर रेलवे के काम के लिए 2013 में एक निजी ठेकेदार ने खोदा था और उसमें पानी भरा हुआ था। इस गड्ढे में डूबकर 12 साल के एक लड़के की मौत हो गई थी। जस्टिस नज्मी वजीरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उत्तर रेलवे के साथ-साथ ठेकेदार की लापरवाही के कारण एक निर्दोष लड़के की जान चली गई क्योंकि मौके पर न तो कोई सुरक्षा थी और न ही उस गड्ढे के आसपास किसी शख्स को आने से रोकने के उपाय किये गये थे।
‘लापरवाही के कारण गई लड़के की जान’
फैसले देने वाली बेंच में जस्टिस सुधीर कुमार जैन भी शामिल थे। बेंच ने हाल में पारित एक आदेश में कहा, ‘प्रतिवादी (उत्तर रेलवे और ठेकेदार) किसी दुर्घटना से बचने के लिए मौके पर कोई सुरक्षा उपाय करने को लेकर न तो सतर्क थे और न ही संवेदनशील। किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए मौके पर जरूरी प्रबंध किये जाने चाहिए थे। उनकी लापरवाही के कारण एक मासूम लड़के की जान चली गई।’ पीड़ित बच्चा अपने परिवार के साथ दिल्ली के कैलाश नगर की एक झोपड़ी में रहता था और यह घटना पीली मिट्टी रेलवे लाइन और मेट्रो लाइन के बीच हुई थी, जहां इलाके के बच्चे खेलते थे।’
ठेकेदार ने पहले भी दिए थे 3 लाख रुपये
कोर्ट ने कहा, ‘बच्चे खुले मैदान में खेलते थे। बच्चों को मैदान में खेलने से रोकने के लिए पहले से कोई चेतावनी नहीं दी गई थी।’ हाई कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ परिवार की अपील पर अपना आदेश सुनाया। मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपये के अनुरोध संबंधी उनकी याचिका को एकल न्यायाधीश ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को बंद करने के लिए समझौते के तहत ठेकेदार द्वारा उन्हें पहले ही 3 लाख रुपये से ज्यादा की राशि का भुगतान किया जा चुका है।
गैर-इरादतन हत्या का मामला भी हुआ है दर्ज
इस मामले में पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध करने के आरोप में एक FIR दर्ज की गई थी, जिसमें गैर इरादतन हत्या के लिए सजा भी शामिल है। आदेश में कहा गया है, ‘वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है और प्रतिवादियों को 23,33,666 रुपये की राशि मुआवजे के रूप में 6 प्रतिशत साधारण ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है।’ (भाषा)
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