दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे किसानों को विरोध प्रदर्शन के बीच अच्छी खबर सामने आई है। दरअसल किसान नेता केंद्रीय मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक करने पहुंचे हैं। किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्च की कुछ मांगे हैं। बता दें कि इस बीच किसान संगठनों ने दिल्ली-नोएडा सड़क मार्ग से हटने का ऐलान कर दिया है। बता दें कि आज पूरे दिन दिल्ली-नोएडा रूट पर भारी ट्रैफिक देखने को मिला। इस बीच अब किसान नेता केंद्रीय मंत्रियों को प्रतिनिधिमंडल से बैठक करने पहुंचे हैं।
क्या है किसानों की मांग?
- सभी फसलों की खरीद पर MSP गारंटी अधिनियम बनाया जाए। डॉ. स्वामीनाथन आयोग के निर्देश पर सभी फसलों की कीमतें C2+50% फॉर्मूले के अनुसार तय की जाएं।
- गत्ते का एफआरपी और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार दिया जाना चाहिए, जिससे यह हल्दी सहित सभी मसालों की खरीद के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बन जाए।
- किसानों और मजदूरों के लिए पूर्ण ऋण माफी।
- लखीमपुर खीरी हत्या मामले में न्याय हो। अजय मिश्रा को केबिनेट से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार किया जाए। आशीष मिश्रा की जमानत रद्द की जाए। सभी आरोपियों से उचित तरीके से निपटा जाए।
- हुए समझौते के अनुसार, घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
- दिल्ली मोर्चा सहित देश भर में सभी आंदोलनों के दौरान सभी प्रकार के मामले/मुकदमें रद्द किए जाएं।
- आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों और मजदूरों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और नौकरी दी जाए।
- दिल्ली में किसान मोर्चा के शहादत स्मारक के लिए जगह दी जाए।
- बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने वाले बिजली संशोधन विधेयक पर दिल्ली किसान मोर्चा के दौरान सहमति बनी थी कि इसे उपभोक्ता को विश्वास में लिए बिना लागू नहीं किया जाएगा, जो कि अभी अध्यादेशों के माध्यम से पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा है, इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
- कृषि क्षेत्र को वादे के अनुसार प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाना चाहिए।
- भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर आना चाहिए। कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस आदि पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाना चाहिए। विदेशों से और प्राथमिकता के आधार पर भारतीय किसानों की फसलों की खरीद करें।
- किसानों और 58 वर्ष से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन दी जानी चाहिए।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार द्वारा स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना। सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए।
- मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिनों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाए। मजदूरी बढ़ाकर 700 प्रति दिन की जाए और इसमें कृषि को शामिल किया जाए।
- कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार करना और नकली और घटिया उत्पादों का निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनियों पर अनुकरणीय दंड और दंड लगाकर लाइसेंस रद्द करना।
- संविधान की पांचवीं अनुसूची का कार्यान्वयन।
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