Congress President Election: कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव इस समय सबसे ट्रेंडिंग टॉपिक है। कल 30 सितबर को नामांकन का अंतिम दिन था। तीन नेताओं ने पर्चा दाखिल किया। एक शशि थरूर दूसरा मल्लिकार्जुन खड़गे और झारखंड कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया है।
नामांकन के दौरान माहौल और प्रस्तावकों को देखते हुए खड़गे की जीत तय मानी जा रही है। लेकिन आज से शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे अपने पक्ष में वोट जुटाने के लिए प्रचार भी शुरू कर दिया। लेकिन इसके साथ ही मल्लिकार्जुन खड़गे का विरोध भी शुरू हो गया है। मुंबई कांग्रेस के एक नेता ने चिट्ठी लिखकर उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया है।
'उनके प्रभारी रहते हुए राज्य में पार्टी का जनाधार ख़त्म हुआ'
मुम्बई से AICC के सदस्य विश्व बन्धु राय ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर खड़गे को अध्यक्ष न बनाने की मांग की। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि, "मल्लिकार्जुन खड़गे 80 वर्ष के हैं। वे लोकसभा में विपक्ष के नेता थे, लोकसभा चुनाव भी नहीं जीत पाए। इसके साथ ही वे महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी बने। उनके प्रभारी रहते हुए राज्य में पार्टी का जनाधार ख़त्म हुआ। खड़गे ने शिवसेना के साथ गठबंधन किया जोकि आज महाविनाश गठबंधन बन चुका है। राज्य में पार्टी के 2 सांसद थे, लेकिन उनके प्रभारी रहते हुए महाराष्ट्र में एक ही सांसद चुनकर दिल्ली गया।"
Image Source : APMallikarjun Kharge
'खड़गे अध्यक्ष बनेंगे तो पार्टी की ज्यादा दुर्दशा होगी'
इसके साथ ही राय ने आरोप लगाया कि खड़गे अध्यक्ष बनेंगे तो पार्टी की ज्यादा दुर्दशा होगी। उन्होंने पत्र में लिखा कि, "वैसे तो अब तक इन्हें सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए था। लेकिन दिल्ली में इनका प्रभाव बना हुआ है। इसलिए पार्टी की तरफ से काफी कुछ इन्हें मिलता रहता है।" राय ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा है कि, मल्लिकार्जुन खड़गे का अपना कोई जनाधार नहीं बचा है। इनके प्रभाव से न तो सत्ता पक्ष डरेगी और न ही युवा आकर्षित होंगे।
'किसी युवा और तेज तर्रार नेता को मौका देना चाहिए था'
उन्होंने कहा कि, इस आयु में यह देश के सभी जिलों में बैठक भी नहीं कर सकेंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि खड़गे की जगह पर किसी युवा और तेज तर्रार नेता को मौका देना चाहिए था। इसके साथ ही उन्होंने अपील की पार्टी हित को ध्यान में रखते हुए किसी कठपुतली को अध्यक्ष पद हेतु समर्थन न दिया जाए।
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