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Hindi News भारत राष्ट्रीय आरएसएस मानहानि केस में राहुल गांधी को HC से बड़ी राहत, भिवंडी कोर्ट का फैसला रद्द

आरएसएस मानहानि केस में राहुल गांधी को HC से बड़ी राहत, भिवंडी कोर्ट का फैसला रद्द

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भिवंडी अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता राजेश कुंटे द्वारा उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में अतिरिक्त सबूत के रूप में उनके भाषण की प्रतिलेख की अनुमति दी गई थी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी - India TV Hindi Image Source : PTI कांग्रेस नेता राहुल गांधी

मुंबईः आरएसएस मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बांबे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भिवंडी मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एक आरएसएस कार्यकर्ता को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की अनुमति दी गई थी। हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट को कानून के अनुसार मुकदमें को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है। 

राजेश कुंटे ने दर्ज कराई थी शिकायत

आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंटे ने 2014 में भिवंडी में मजिस्ट्रेट अदालत में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता ने एक भाषण के दौरान झूठा और अपमानजनक बयान दिया था कि महात्मा गांधी की हत्या के लिए संघ जिम्मेदार है। मजिस्ट्रेट अदालत ने 2023 में कुंटे को राहुल गांधी के भाषण की प्रतिलिपि प्रस्तुत करने की अनुमति दी। राहुल का भाषण 2014 में दायर उनकी उस याचिका का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ जारी समन को रद्द करने की मांग की थी।

राहुल गांधी ने की थी हाई कोर्ट में चुनौती

 कांग्रेस नेता ने मजिस्ट्रेट के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की एकल पीठ ने कांग्रेस नेता की याचिका मंजूर कर ली। अदालत ने कहा, ‘‘याचिका स्वीकार की जाती है। विवादित आदेश और तदनुरूप दस्तावेज प्रदर्शित करने के आदेश को रद्द और खारिज किया जाता है। न्यायमूर्ति चव्हाण ने मजिस्ट्रेट को मुकदमे को शीघ्रता से निपटाने का निर्देश दिया तथा दोनों पक्षों से सहयोग करने को कहा।

राहुल गांधी ने दिया था ये तर्क

राहुल गांधी ने अपनी याचिका में दावा किया कि 2021 में उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने कुंटे को मामले में कोई भी नया दस्तावेज जमा करने की इजाजत नहीं दी थी। हालांकि, इसके बावजूद मजिस्ट्रेट ने शिकायत के हिस्से के रूप में दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि कुंटे को इस स्तर पर नये दस्तावेज प्रस्तुत करने की अनुमति देने वाला मजिस्ट्रेट का आदेश ‘पूरी तरह से अवैध और पूर्वाग्रही’ है।  

 

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