कांग्रेस ने रविवार को अपने पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद पर पार्टी छोड़ने के बाद अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के कदम पर अपना रुख बदलने का आरोप लगाया और कहा कि इस मुद्दे पर उनके (आजाद) ‘‘झूठ’’ का पर्दाफाश किया जाना चाहिए। आजाद ने हाल में कहा था कि वह अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर लोगों को गुमराह नहीं करेंगे, क्योंकि केवल संसद में दो-तिहाई बहुमत वाली सरकार ही प्रावधानों की बहाली सुनिश्चित कर सकती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा था कि वह ऐसे मुद्दे नहीं उठाएंगे, जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।
कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के नेता गुलाम अहमद मीर ने एक ट्वीट कर पूछा था कि क्या आजाद ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के कदम के बाद कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘बेशक उन्होंने (हस्ताक्षर) किये थे।’’ रमेश ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मैं संसद में उनके पीछे बैठा था, जब उन्होंने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ बोला था। उनके झूठ का पर्दाफाश किया जाना चाहिए।’’
आजाद ने ऐसा क्यों कहा
अपने एक लेख में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि पांच अगस्त, 2019 को बीजेपी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने का ‘‘अतिवादी कदम’’ उठाया और राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख- का गठन किया। उन्होंने कहा कि अगले दिन कांग्रेस कार्यसमिति ने एक आपात बैठक बुलाई और एक प्रस्ताव पारित किया।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘सीडब्ल्यूसी के सभी सदस्य सहमत थे कि उपरोक्त कदम अवैध और असंवैधानिक थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन विवादास्पद कदमों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। यदि शीर्ष न्यायालय किसी भी या सभी कदमों को असंवैधानिक मानता है, तो कदमों को पलट दिया जाएगा। वैकल्पिक रूप से, यदि मोदी सरकार की जगह कोई और सरकार आती है, तो संभव है कि नयी सरकार कुछ या सभी कदमों को उलट दे। आजाद निश्चित रूप से यह सब जानते हैं।’’ चिदंबरम ने पूछा कि फिर आजाद ने ऐसा क्यों कहा कि अनुच्छेद 370 को बहाल करने का वादा करने वाला राजनीतिक दल लोगों से ‘झूठ’ बोल रहा है।
Latest India News